23.3.19

चुनाव

जब भी चुनाव आता, भेड़ों का मालिक अपनी भेड़ों को लेकर उस कसाई के पास जाता जो बकरे काट रहे होते..देखा! इनका मालिक कितना निर्दयी है!!! घास-फूस के बदले अपने ही प्यारे-प्यारे पालतू जानवरों को काट कर बेच देता है। भेड़ें भीतर तक सहम जातीं..आप कितने अच्छे हैं! हम अभी उन मूर्ख बकरों को अपनी मित्रता सूची से डिलीट करते हैं जो इस कसाई को ही अपना मालिक समझते हैं।

बकरों का मालिक भी ठीक यही काम करता। वह भी अपने बकरों को भेड़ों के मालिक की झलक दिखलाता और कहता...देखा! इनका मालिक कितना निर्दयी है!!! घास-फूस के बदले अपने ही प्यारे-प्यारे पालतू जानवरों की खाल उधेड़ देता है। बकरे भीतर तक सहम जाते..आप कितने अच्छे हैं! हम अभी उन मूर्ख भेड़ों को अपनी मित्रता सूची से डिलीट करते हैं जो इस कसाई को ही अपना मालिक समझते हैं।

इस तरह, ज्यों-ज्यों चुनाव पास आता, भेड़ों की मित्रता सूची में भेंड़, बकरों की मित्रता सूची में बकरे ही शेष रह जाते। दोनो अपने-अपने खाली समय में एक दूसरे पर तंज कसते, एक दूसरे को धिक्कारते और अपने मालिक की शान में कसीदे पढ़ते।

बात एक देश के कुछ जानवरों तक सीमित हो तो कुछ गनीमत थी। धीरे-धीरे यह रोग, राष्ट्रीय से अंतराष्ट्रीय, चौपायों से दो पायों तक फैलता चला गया और दुंनियाँ, जहन्नुम बन गई।
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3 comments:

  1. ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 23/03/2019 की बुलेटिन, " वास्तविक राष्ट्र नायकों का बलिदान दिवस - २३ मार्च “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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