23.5.24

सुबह की बातें (15)

पार्क में, खूब ध्यान से देख रहा था पंछियो/हिरणों की मौज मस्ती। 

ठुमक-ठुमक कर मॉर्निंग वॉक कर रहा एक मोर, चलते-चलते दौड़ने लगा, दौड़ते -दौड़ते ठहर कर पँख फैला दिया और फिर बड़ी अदा से नृत्य करने लगा!

एक दूसरा मोर अनार के पौधों से लाँग जम्प करता हुआ आया और टहल रहे मोर से बतियाने लगा। 

दूर, लोहे के सलाखों से घिरे हिरण पार्क में मोरनियाँ मिट्टी से चुग रहे थीं अपना आहार।  

नीम की शाख में टांय-टांय कर रहे थे बहुत से तोते। कुछ डाल पकड़कर झूला झूल रहे थे, कुछ चोंच लड़ा रहे थे। 

एक कउआ उड़ता हुआ चोंच में एक तिनका दबाए हुए आया और बैठ गया हिरण की पीठ पर। उछलते-उछलते गरदन पर चढ़ गया और कान में तिनका घुसेड़ने लगा। हिरण घबड़ा कर दौड़ा और कउआ उड़ चला!

एक नीम के खोते में बैठा था उल्लूओं का जोड़ा, मैं जैसे-जैसे पास जाता, उनकी ऑंखें चौड़ी होती जाती! मैने सोचा, उजाले में उल्लू कहाँ देख पाते हैं और पास चलते हैं। पास जा कर फोटू खींचने लगा तो फुर्र से उड़ गए!!! 

कुछ तोते, कुछ कबूतर, कुछ हीरन कर रहे थे चहल कदमी। मुझे देख तेजी से भागने लगे मोर। तब तक कुछ और दो पाये भी आ गये थे पार्क में। देखते ही देखते मोर उड़ कर हो गए शालाखों के पार, वन विभाग की जमीन पर।

एक कोने में टप-टप टपक रही थी नल की टोंटी। चीख रही थीं, चरखी चिड़ियाँ। एक-एक कर उड़-उड़ बैठतीं टोंटी के ऊपर, लटकातीं गरदन और खोल देतीं अपनी चोंच। टप-टप टपकता पानी वरदान था उनके लिये। चौड़े मुँह वाले पात्र में, पास ही रखा था पानी। कूद-कूद भिंगोती पंख, फुर्र-फुर्र उड़तीं और फिर-फिर बैठतीं टपकते नल की टोंटी के ऊपर। 

अब मैं उनको सुनना चहता हूँ जिनकी बोली समझ में नहीं आती। अब मैं उनसे बतियाना चाहता हूँ जो मेरी बोली नहीं समझते। जिनकी बोली समझता हूँ, उनकी बोली इतनी मीठी नहीं लगती! 

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8 comments:

  1. हां वोट दे दिए सरकार बना दिए अब का यही अच्छा है गली गली में मोर है |

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  2. वाह ! अति रोचक और आनंददायक वर्णन, सुबह-सुबह इतने सारे मनोहर जीवों का संग-साथ, ! पर यह तो सुना है न "मन मीठा तो जग मीठा"

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  3. प्रकृति का मनमोहक संसार भोर में और भी
    रमणीय एवं सुरभित हो जाता है।
    सुंदर वर्णन सर।
    सादर।
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    जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना शुक्रवार २५ मई २०२४ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  4. जिनकी बोली समझ नहीं आती उन्हें सुनना आसान हैऔर जो ना समझे उसे कहना और भी आसान
    वाह!!!
    रोचक एवं लाजवाब .

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  5. बहुत सुन्दर

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