11.7.24

साइकिल की सवारी (10)

आज बहुत दिनों के बाद लगभग 20 किमी साइकिल की सवारी हुई। भोर में 5 बजे घर छोड़ने से पहले मोबाइल में Chandan Tiwari  का यूटूब चैनल चला दिया। 'डिम डिम डमरू बजावेला जोगिया' सुनते हुए आगे बढ़ा। एक खतम होता, दूसरा बजने लगता, बीच-बीच में प्रचार भी आता रहा, साइकिल चलती रही। सारनाथ से पंचकोशी चौराहे से जब साइकिल सलारपुर की तरफ मुड़ी तो आशंका थी, क्रांसिंग बन्द होगी लेकिन खुली थी। सलारपुर, खालिसपुर से आगे साइकिल जब कपिल धारा से आगे बढ़ी तो खुला-खुला, खुशनुमा वातावरण था। सूर्यमन्दिर के दरवाजे खुले थे, शनि देव पीपल के नीचे एकदम खाली बैठे थे। ध्यान आया, आज मंगलवार है, हनुमान जी व्यस्त होंगे। शनिवार होता तो भक्त शनिदेव में दिए जला रहे होते, आज हनुमान मन्दिर गए होंगे।

बिना रुके चलता रहा। पुलिया को देखा, एक अजनबी वृद्ध बैठे आराम कर रहे थे। बगल में लंगोटी वाले पीर बाबा (बरगद का विशाल वृक्ष है, भक्तों की मान्यता है कि यहाँ पीर बाबा का वास है, यहाँ भक्त लंगोटी चढ़ाते हैं।) में दो नई लाल लंगोटियाँ चढ़ी हुई थीं। सर झुकाते हुए आगे बढ़े, साइकिल रोकने का प्रश्न नहीं था, गंगा किनारे नमो घाट पर भजन मित्र मंडली का भजन 6 बजे शुरू हो जाता है। घर से बिना रुके पहुँचने में लगभग एक घण्टे लग जाते हैं, लगभग 10 किमी का सफर है।

कोटवा, मोहन सराय, तथागत भूमि से होते हुए वरुणा गंगा के संगम तट पर बने पुल को पार करते हुए, बसंत महाविद्यालय की सड़कों पर चले तो बहुत से अपरिचित मॉर्निग वॉकर तेज चलते हुए या दौड़ते हुए दिखे। रास्ते में अमृत कुण्ड के जगत पर कुछ प्राणी प्रेमी, कौवों, कुत्तों, गायों को नमकीन, बिस्कुट, गुड़ खिलाते हुए दिखे। इन सबके दर्शन करते हुए जब अपनी साइकिल नमो घाट के गोवर्धन मन्दिर पर खड़ी हुई तो 6 बजने में 5 मिनट शेष थे।

नव निर्मित नमोघाट एक विशाल, खूबसूरत घाट है। यहाँ सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं। अच्छी पार्किंग, सी एन जी गैस भराने की व्यवस्था, हाथ का सकल्पचर, गोवर्धन मन्दिर, क्रीड़ा क्षेत्र, विशाल हैलिपैड और 2,3 किमी में फैला सुंदर, चौड़ा मार्ग। यहाँ आसपास के लोग प्रातः भ्रमण के लिए रोज आते हैं। आगे वरुणा-गंगा संगम तट पर स्थित प्रसिद्ध आदिकेशव घाट तक जाने का मार्ग है। लगभग 50 मीटर का मार्ग निर्माणाधीन है, शेष बन चुका है। यहाँ एक तरफ भजन मंडली भजन प्रारम्भ करने की तैयारी कर रही थी और हम पसीना पोंछते हुए, समय से पहुँच गए।

सबके साथ बैठकर, ताली बजाते हुए, लगभग 30 मिनट सीताराम-सीताराम... का गायन हुआ, लौटते समय आराम-आराम से जगह-जगह रुकते हुए लौटे । कुएँ का पानी पिये, पीर बाबा की पुलिया पर कुछ समय बैठ कर आराम किया, पंचकोशी चौराहे से ताजे फल खरीदते हुए घर पहुँचे हैं तो शरीर में 12 और घड़ी में लगभग 8 बज चुके थे।

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https://youtu.be/U-MToJ1lJ64?si=YrkS3-B4vBaeKIbp





O9 जुलाई 2024

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