(1) बसंत
..............
भौरों को दिखला कर
कलियों के नए बाग
अंजुरी भर प्यार देकर
किधर गया फिर बसंत !
चूमकर होठों को
फूंककर प्राण नया
बोलो न तड़पाकर
किधर गया फिर बसंत !
(2)चक्रव्यूह
...............
परिवर्तन चाहता है आदमी
मोह जगाती है जगह
चक्रव्यूह सा पाता हूँ चारों ओर
याद आती है एक पौराणिक कथा
अभिमन्यु मारा जाता है।
(3)प्रेम
............
बांधना चाहता हूँ तुझे
गीतों में मगर
फैलती जाती है तू
कहानी बनकर।
(4) मजदूर
................
उसके एक हाथ
पत्थर कूटते-कूटते
पत्थर के हो चुके थे
और दूसरे में
उंगलियाँ थी ही नहीं।
(5) किसान
..............
उसके खेत
उसके पैर की बिवाइयों की तरह
फट चुके हैं
ये वही खेत हैं
जिसे उसने
पिछली बाढ़ के बाद
बमुश्किल ढूँढ निकाला था।
(6) कारण
.............
मौत को देखकर परिंदा उड़ना भूल गया
यही उसकी
शर्मनाक मौत का कारण बना।
.......
ब्लागिंग में कुछ समस्याएं आ रही हैं...
ReplyDeleteब्लॉग इन ड्राफ्ट का प्रयोग करता था। इसका फीचर बदल गया लगता है। नई पोस्ट कैसे पोस्ट हो यह नहीं समझ में आ रहा।
हमारीवाणी में यह पोस्ट नहीं दिख रही। जबकि पहले की तरह ही क्लिक किया था!
बांधना चाहता हूँ तुझे
ReplyDeleteगीतों में
फैलती जाती है तू
कहानी बनकर।
अहा!
क्या बात कही है देवेन्द्र भाई आपने। इस पर तो सौ गीत/कविता कुर्बान!
सभी क्षणिकाएँ बहुत बढ़िया रहीं!
ReplyDeleteसभी क्षणिकाएँ मन को गहरे तक छू गईं... हार्दिक बधाई.
ReplyDeleteसभी क्षणिकाएँ मन को उद्वेलित करने वाली सुन्दर अभिव्यक्ति हैं...
ReplyDeleteगागर में सागर सी हैं ये क्षणिकाएं।
ReplyDelete------
जीवन का सूत्र...
NO French Kissing Please!
अलग अलग रंग लिए सभी क्षणिकाएं...पर सभी मन को छूने और अपने ही रंग रंगने में समर्थ..
ReplyDeleteबहुत बहुत सुन्दर...किसे कम कहूँ,किसे अधिक...
सभी क्षणिकाएँ बहुत बढ़िया रहीं!
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति हैं...
किसान, मजदूर और प्रेम.......तीनो मुझे बहुत पसंद आई........वाह.....शानदार|
ReplyDeleteबांधना चाहता हूँ तुझे
ReplyDeleteगीतों में
फैलती जाती है तू
कहानी बनकर।
वाह ...बहुत खूब कहा है ।
lovely verses
ReplyDeletebut last one is awesome !!
हर क्षणिका बेहतरीन है.
ReplyDeleteएक से एक सशक्त क्षणिका, न जाने कितने अभिमन्यु क्षत विक्षत हैं।
ReplyDeleteसभी क्षणिकाएं सुन्दर .
ReplyDeleteबांधना चाहता हूँ तुझे
गीतों में
फैलती जाती है तू
कहानी बनकर।
यह सबसे बढ़िया लगी .
एक से बढ़कर एक गहरे अर्थों और संवेदना भरी लम्बी तासीर उदगमित करती क्षणिकाएं !
ReplyDeleteकमाल करते हो बेचैन भाई !
पहली तो बेजोड़ है -बसंत मुआ ऐसा ही करता है! आस दिलाकर निराश करता है !
ReplyDeleteक्षणिकाएँ प्रभावी बनी हैं... बधाई..
ReplyDeleteएक से बढकर एक, लाजवाब अभिव्यक्ति.
ReplyDeleteरामराम.
प्रत्येक क्षणिका एक से बढ़कर एक
ReplyDeleteसभी एक से बढकर एक!
ReplyDeleteएक से बढ़कर एक
ReplyDeleteक्षण का सुख लिया ||
बधाई ||
@बांधना चाहता हूँ तुझे
ReplyDeleteगीतों में
फैलती जाती है तू
कहानी बनकर....
बहुत बेहतरीन लाइनें,आभार.
गागर में सागर की तरह हैं आपकी रचनाएँ....इन्हें क्षणिकाएं कहकर इनका मान छोटा न करें !
ReplyDeleteउसके एक हाथ
ReplyDeleteपत्थर कूटते-कूटते
पत्थर के हो चुके थे
और दूसरे में
उंगलियाँ थी ही नहीं।
एक एक क्षणिका भाव पूर्ण्………सुंदर प्रस्तुति।
दूसरे नंबर की क्षणिका सबसे अछ्छी लगी.
ReplyDeleteआपकी ब्लागिंग की परेशानी कैसे हल होगी ये मुझे मालूम नहीं,नहीं तो अवश्य कोशिश करता.
bahut hi acha laga sabko padhkar,,,
ReplyDelete2nd no ki kuch jyada pasand ayi
jai hind jai bharat
आप का बलाँग मूझे पढ कर अच्छा लगा , मैं भी एक बलाँग खोली हू
ReplyDeleteलिकं हैhttp://sarapyar.blogspot.com/
आपको मेरी हार्दिक शुभकामनायें.
अगर आपको love everbody का यह प्रयास पसंद आया हो, तो कृपया फॉलोअर बन कर हमारा उत्साह अवश्य बढ़ाएँ।
--
hai
Beautifulpoems wih different tastes and emotions,I liked them all,including poem on face book.Pl enjoy writing,you have agood poetic sense.
ReplyDeleteGood day
dr.bhoopendra
देवेन्द्र जी सारी क्षणिकाएं बहुत सुन्दर और लाजवाब रहा! दिल को छू गयी हर एक क्षणिकाएं! बेहतरीन प्रस्तुती!
ReplyDeleteबांधना चाहता हूँ तुझे
ReplyDeleteगीतों में
फैलती जाती है तू
कहानी बनकर।
बेहतरीन.............
गागर में सागर.
ReplyDeletehar ek kshanika lajawab ...gahrayi me doobi hai.
ReplyDeleteहर क्षणिका ने बाँध लिया ... कुछ शब्दों में गहरी बातें कहती हैं क्षणिकाएं और आपने पूरा इन्साफ किया है ... बहुत लाजवाब ...
ReplyDeleteआखिरी क्षणिका ने स्तब्ध सा कर दिया क्य परिन्दा क्या मनुष्य सभी यही तो करते है
ReplyDeleteसभी क्षणिकाये लाज्बाब है आभार
बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteबांधना चाहता हूँ तुझे
ReplyDeleteगीतों में
फैलती जाती है तू
कहानी बनकर।
Beautiful expression
.
बहुत खूब!
ReplyDeleteसभी रचनाएँ अच्छी लगी.
तीसरी और पांचवी बहुत प्रभावी लगीं.....!
भावों के समुन्दर में डुबकीलगवाती सह -भावित भाव -कणिकाएं .
ReplyDeleteतरंगीत करती हुई क्षणिकाएं .
ReplyDelete