30.3.13

संभावना


अटके हो
किसी के आस में
तो झरो!
जैसे झरते हैं पत्ते
पतझड़ में

रूके हो किनारे
साथी की तलाश में
तो बहो!
तेज धार वाली नदी में
बिन माझी के नाव की तरह

धऱती पर पड़े हो
तो उड़ो!
जैसे उड़ती है धूल
बसंत में

हाँ तुमसे भी कहता हूँ...

वृक्ष हो
तो नंगे हो जाओ!

माझी हो
तो संभालो अपनी पतवार!

आँधी हो
तो समझ जाओ!
तुम उखाड़ नहीं पाओगे
कभी भी
किसी को
समूल!

जर्रे-जर्रे में
होती है
आग, पानी, हवा, मिट्टी या फिर..
आकाश बनने की
संभावना।
................


33 comments:

  1. क्या बात है ! सुन्दर कविता !

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  2. बहुत सुन्दर

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  3. अद्भुत अभिव्यक्ति!! आंधियों भरे अंधेरे में अचल दीप समान!!

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  4. सुंदर, बहुत सुंदर

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  5. लगता है यह आपकी सर्वश्रेष्‍ठ कविता बन पड़ी है...बधाई..

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  6. मेरे कमेंट को आखिरी टुकड़े को किनारे रख कर ही देखा जाए :-)

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  7. किसी की आस में........सुन्दर भावनाओं से ओतप्रोत रचना .

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  8. जे बात ... जय हो महाराज ... :)


    आज की ब्लॉग बुलेटिन क्योंकि सुरक्षित रहने मे ही समझदारी है - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  9. वाह लाजवाब और सशक्त रचना.

    रामराम.

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  10. खुबसूरत भावों की अभिव्यक्ति

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  11. पोजिटिव एनेर्जी देती रचना .

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  12. खाली की संभावना सर्वाधिक, हम पड़े हैं खाली।

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  13. खुबसूरत भावों की अभिव्यक्ति
    new postकोल्हू के बैल

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  14. ओ हेनरी की एक ऐसी ही कहानी में उस अटके हुए पत्ते में जीवन की संभावनाएं छिपी थीं... नदी के दोनों किनारे किसी साथी की तलाश में नहीं, नदी के अंदर हाथ मिलाए लहरों को झेलते हैं.. धूल उडती है ताकि बारिश की वज़ह बन सके..
    बहुत सुन्दर कविता.. ज़र्रे ज़र्रे में छिपी संभावनाओं की पहचान कराती, एक सार्थक कविता.. अरे! भूल गया देवेन्द्र भाई, एक बात कहना.. एक सार्थक कविता, हमेशा की तरह!! :)

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    1. शानदार प्रतिक्रिया हमेशा की तरह..आभार।

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  15. कमाल लेखन और सार्थक बेहतरीन रचना के लिए बधाई | आभार

    कभी यहाँ भी पधारें और लेखन भाने पर अनुसरण अथवा टिपण्णी के रूप में स्नेह प्रकट करने की कृपा करें |
    Tamasha-E-Zindagi
    Tamashaezindagi FB Page

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  16. सराहनीय है आपका अभिव्यक्ति-कौशल!

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  17. जर्रे जर्रे में होती है सम्भावना ...
    बिलकुल होती है !
    प्रेरक रचना !

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  18. जीवन की संभावनाओं को समेटे और सन्देश पूर्ण रचना ।

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  19. वाह कितनी गहरी बात कही है …………लाजवाब अभिव्यक्ति।

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  20. सार्थक सन्देश देती गम्भीर अभिव्यक्ति .....
    साभार.....

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  21. सच है जर्रे जर्रे में संभावनाएं हो सकती हैं.

    सार्थक सन्देश देती सुंदर अभिव्यक्ति.

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  22. बहुत खूब ... सार्थक विचार लिए ... संभावनाओं का विस्तृत आकाश बिछाए ...
    गहरी रचना ...

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  23. वाह्ह्ह्हह्ह्ह्हह बहुत सुन्दर

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  24. वाह ..क्या बात है. संभावनाएं जगाती, शानदार अभिव्यक्ति.

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  25. अक्षरश: सत्य......बहुत बहुत सुन्दर कवितायेँ ।

    आप इतना अच्छा लिखते हैं पर आजकल आपके ब्लॉग पर बहुत कम पढने को मिलता है देव बाबू......अनुरोध है की फोटोग्राफी से अतिरिक्त अपने लेखन के लिए भी उचित समय अवश्य निकालें........

    वक़्त मिले तो हमारे ब्लॉग पर भी तशरीफ़ लायें ।

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