रौशनी है
लोहे के घर में
अँधेरा है
खेतों में, गाँवों में
जब कोई छोटा स्टेशन
करीब आता है
खेतों की पगडंडियों में
दिखने लगते हैं
टार्च
माटी के घरों में
ढिबरी
पक्के मकानों में
शेफल
और...
मुझे स्टेशन का नाम पढ़ते देख
अँधेरे में डूबा स्टेशन
खिलखिला कर हंसने लगता है।
..............................................
लोहे के घर में
अँधेरा है
खेतों में, गाँवों में
जब कोई छोटा स्टेशन
करीब आता है
खेतों की पगडंडियों में
दिखने लगते हैं
टार्च
माटी के घरों में
ढिबरी
पक्के मकानों में
शेफल
और...
मुझे स्टेशन का नाम पढ़ते देख
अँधेरे में डूबा स्टेशन
खिलखिला कर हंसने लगता है।
..............................................
महानगर की चकाचौंध बनी रहनी चाहिए बस . ....
ReplyDeleteसटीक व सार्थक चिंतन 1
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन, बाप बड़ा न भैया, सब से बड़ा रुपैया - ब्लॉग बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 13 अक्टूबर 2015 को लिंक की जाएगी............... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
ReplyDeleteStart self publishing with leading digital publishing company and start selling more copies
ReplyDeletePublish ebook with ISBN, Print on Demand
the truth that is hidden in the dark, brought out beautifully
ReplyDeleteयह स्थिति कब तक और बनी रहेगी उपरवाला ही जाने.
ReplyDeleteरेल यात्रा का सुंदर व सजीव चित्रण...
ReplyDeleteबहुत बढ़िया लेख हैं.. AchhiBaatein.com - Hindi blog for Famous Quotes and thoughts, Motivational & Inspirational Hindi Stories and Personality Development Tips
ReplyDelete