30.6.17

आत्महत्या

बहुत दर्द होता है
मरने से पहले
एक बार मर जाओ
तो आसान होता है जीना!

हँसो मत
अपने जीवित होने का सुबूत दो

मरने के बाद
जानते हो क्या होता है?
आदमी
ट्रेन में बैठ कर
मेरी तरह
पटरी-पटरी भागता है!

एक कदम चले बिना
मीलों की दूरी का हिसाब मांगता है

बैठे-बैठे
खिड़की से
मजदूरों, किसानों को धूप में काम करते देख
उन्हें मुर्दा
खुद को जिंदा समझता है!

बहुत आसान है
मरने के बाद
पटरी पकड़ कर
चलते चले जाना

यकीन न हो तो
मरने से पहले का दर्द
और
मरने के बाद का सुकून
उस किसान से पूछो
जिसने जीवन के बोझ से घबड़ाकर
आत्महत्या कर लिया

जीना सरल नहीं है
मरना तो और भी कठिन है
आसान है तो बस्स
मरने के बाद
जीते चले जाना

क्या कहा?
आत्महत्या करेंगे!
तब तुम
मेरी बात समझ ही नहीं पाये

आत्महत्या
वही कर पाता है
जो जीवित है।

19 comments:

  1. भावपूर्ण!!

    अंतरराष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉग दिवस पर आपका योगदान सराहनीय है. हम आपका अभिनन्दन करते हैं. हिन्दी ब्लॉग जगत आबाद रहे. अन्नत शुभकामनायें. नियमित लिखें. साधुवाद
    #हिन्दी_ब्लॉगिंग

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  2. सही है, इस भागदौड़ वाली जिंदगी में जिंदा रहकर भी जिंदा रहने का अहसास मृतप्राय ही है, दुखद है जीतेजी मर जाना ।

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  3. बहुत खूब , मंगलकामनाएं !

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  4. ये जीना भी कोई जीना है | सब जीने का भ्रम ही पाले है |

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  5. जीवन के साथ कई द्वन्द्व तो जुड़े ही हैं

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  6. एक बार
    फिर एक बार मरना
    ... रूह होकर जीना ही असल ज़िन्दगी है

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  7. मौत का सफर ??? वाह

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  8. Ohh..gazab ki kavita hai!
    Aatmhatya wahi kar pata hai
    Jo jeevit hai!!
    Shaandar !!

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  9. मोबाइल से ब्लॉगिंग अच्छी होती है लगता है... करते रहिये... ब्लॉग पर लोहे के घर के बारे में पढना और अच्छा लगेगा...

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  10. जय हिंद...जय #हिन्दी_ब्लॉगिंग...

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  11. जय हिंद...जय #हिन्दी_ब्लॉगिंग...

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  12. घास फूस की कुटिया में संत निवास करते हैं, लेकिन लोहे के घर का संत इतनी गहरी और दार्शनिक सोच वाली रचनाएँ सृजन कर सकता है, सोचकर ही नतग्रीव हूँ आपके समक्ष... छोटे भाई हैं आप, नहीं तो पैर छू लेता, क्योंकि यह रचना दिल को छू गई!

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  13. बेहद गहन और मारक

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  14. मर कर जीना सरल है ..जब ज़मीर ही मार दिया तो फिर कैसे भी जियें ... गहन अभिव्यक्ति ...हर पाठक एक नया अर्थ लेगा .

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  15. उत्साह बढ़ाने के लिए आप सभी का आभारी हूँ.

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  16. यह आत्महत्या को उकसा तो नहीं रही?

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