18.8.17

नदी

नदी
अब वैसी नहीं रही

नदी में तैरते हैं
नोटों के बंडल, बच्चों की लाशें
गिरगिट हो चुकी है
नदी!

माझी नहीं होता
नदी की सफाई के लिए जिम्मेदार
वो तो बस्स
इस पार बैठो तो
पहुँचा देगा
उस पार

नदी
के मैली होने के लिए जिम्मेदार हैं
इसमें गोता लगाने
और
हर डुबकी के साथ
पाप कटाने वाले

पाप ऐसे कटता है?
ऐसे तो
और मैली होती है नदी।

तुम क्या करोगे मछेरे?
अपने जाल से
नदी साफ करोगे?
तुम्हारे जाल में
छोटी, बड़ी मछलियाँ फसेंगी
नदी साफ होने से रही।

नदी को साफ करना है तो
इसके प्रवाह को, अपने बन्धनों से
मुक्त कर दो
चौपायों को सुई लगाकर,  दुहना बन्द करो
जहर से
चौपाये ही नहीं मरते
मरते हैं
गिद्ध भी

नदी
तुम्हारी नीतियों के कारण मैली हुई है
नदी
तुम्हारी नीतियों के कारण
गिरगिट हुई है
अब यह तुमको तय करना है
कि अपना
हाथ साफ करना है या
साफ करनी है
नदी।

4 comments:

  1. हत्या, आत्महत्या
    .... अब नदी नदी नहीं रही
    हो भी नहीं पाएगी

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  2. हर जगह जहर घुला है, हवा, पानी, दूध, सब्जी, फल और गुलाब को भी नासिका तक ले जाना निरापद नहीं रहा...अपना हाथ साफ करने के चक्कर में घनचक्कर में फंस गया है आदमी..

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