बापू
मैं जब भी आपकी तश्वीरें देखता हूँ
आप मुझे उतने अच्छे नहीं लगते वकील के कोट में
जितने अच्छे लगते हैं
धोती या लंगोट में !
दिल की बात सच-सच कह दूँ बापू !
आप सबसे अच्छे लगते हैं
पाँच-दस नहीं,
सौ-पचास भी नहीं,
पाँच सौ भी,
जब आते हैं....
हजार रूपए के नोट में !
सबके मन की बात कही आपने
ReplyDeleteहज़ार रूपये के नोट और धोती लंगोट ।
ReplyDeleteवाह क्या मेल किया है ।
बहुत सुन्दर विरोधाभास ।
बापू कहाँ -कहाँ अच्छे लगते हैं ...
ReplyDeleteवाह ! क्या बात कही !!
सुन्दर भाव...
ReplyDeleteगांधी जयंती पर हार्दिक शुभकामनाएं
गांधी जयंती में तो छोड़ देतें बापू जी को जनाब !
ReplyDeleteचुटीली रचना, लिखते रहिये ...
बढ़िया व्यंग ...
ReplyDelete:)
ReplyDeletegahri soch............yahin manav mann hai!!
bapu ko naman!!
aur aapko bhi dhanyawad!!
बहुत सुन्दर। राष्ट्रपिता को नमन।
ReplyDeleteये अंदर की बात है देवेंद्र जी!!
ReplyDeleteबापू की सादगी आज कहाँ है .... १००० के नोट में डाल कर वो सादगी ही ख़त्म कर दी नई सरकार नें .... ये नेता भी तो बापू के नाम पर खा रहे हैं ...
ReplyDeleteदो अक्टूबर को जन्मे,
ReplyDeleteदो भारत भाग्य विधाता।
लालबहादुर-गांधी जी से,
था जन-गण का नाता।।
इनके चरणों में श्रद्धा से,
मेरा मस्तक झुक जाता।।
आज सभी बापू के राग गा रहे है , जो सही नेता है उसे सब भुल गये.... आज के दिन ही जन्मे थे हमारे लालबहादुर-गांधी जी जो एक सच्चे नेता थे,आज के दिन मेरा इन दोनो को शत शत नमन
ReplyDeleteबापू के फोटो वाली हजार रुपये के नोटों की बरसात हो तो क्या कहने !
ReplyDeleteरूपये बापू के बिन भी अच्छे ही लगेंगे ! पर बापू कब ...?
ReplyDeleteवाह क्या बात कही । आज तो यही सच है। बापू जी व लालबहादुर शास्त्री जी को शत शत नमन। धन्यवाद।
ReplyDeleteएकदम सटीक व्यंग...... यही सच्चाई है.....
ReplyDeleteबापू व शास्त्री जी को शत शत नमन। धन्यवाद।
क्या बात कही देवेन्द्र जी।
ReplyDeleteवैसे आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि जब भी वोडाफोन के कैश पेमेंट के लिए कियोस्क पर जाता हूं तो वह बिना गाँधी वाली तस्वीरों को अंदर लेने में मना कर देता है...जैसे ही कोई दस का नोट या पांच सौ का नोट जिस पर गाँधी हों...ये तुरंत ले लेता है।
मशीन भी गाँधी को मानती है शायद :)
( दरअसल वोडाफोन के कियोस्क में सेटिंग है कि बिना गाँधी वाली नोटों को एक्सेप्ट न करे, ताकि नकली नोट की संभावना कम से कम रहे )
बहुत ही भावपूर्ण रचना .... प्रस्तुति के लिए बधाई
ReplyDeleteमतलब यह है कि बिना गांधीजी का नाम लिए तो हमारा कोई भी काम नहीं चलता। आपकी रचना पढ़कर याद आया कि हिन्दुस्तान में रिश्वत भी गांधी को साक्षी मानकर ही दी जाती है। और लोग कहते हैं कि हमने गांधी को भुला दिया। वे तो हमारी रग रग में बसे हैं। उनकी फोटू वाले कागज ही तो हमें सब कुछ देते हैं।
ReplyDeleteसार्थक कविता. मै भी समर्पित करता हूँ अपनी ये लाइनें-
ReplyDeleteदेखता हूँ चुनावों में बंटते आपके फोटो वाले नोट,
वह भी जेब में रखकर चलता है आपको ,
जिसके दिल में है खोट.
यह सब देख कर
हम जैसों के दिलों को
बार-बार लगती है चोट !
अच्छी प्रस्तुति .. बहुत सही !!
ReplyDeleteराष्ट्रपिता को शत शत नमन ।
ReplyDeleteवाह क्या बात...!!! राष्ट्र की मानसिकता ही लिख डाली आपने...! बहुत आभार.. देवेन्द्र भईया आपकी अक्वारियम घडी आपका भाई शेयर कर ले?
ReplyDeleteबहुत अच्छी प्रस्तुति
ReplyDelete@S.M.HABIB..
ReplyDeleteशौक से..मेरी कहाँ है...मैने भी किसी के ब्लॉग से उड़ाई है।
इस तमाचे की आवाज भी नही आती..बस गाल सहलाता खड़ा हूँ..गाँधी मुझे भी बार-बार याद आते हैं..एटीएम से निकलते गाँधी..डांस-बारों मे बरसते गाँधी..ईएमआई मे बंटते गाँधी..लाल गाँधी, हरे गाँधी, काले गाँधी..टेबल के ऊपर गाँधी..टेबल के नीचे गाँधी..बेड के नीचे बिछे गाँधी..स्विटजरलैंड मे हवा खाते गाँधी..सारा देश अब गाँधीमय हो गया है...मगर कोई बूढ़ा है जो अभी भी रात मे गलियों मे कहीं रोता है..बस आवाज नही आती...
ReplyDeleteआपने नोट से संबंधित जो जो बातें लिखी है सब नोट (NOTE) कर ली गई है .आभार
ReplyDeletezabardast.........ye baat koi bechain aatma hi kah sakti thi.
ReplyDelete:))
ReplyDeletehttp://liberalflorence.blogspot.com/
धोती और लंगोट फिर एक हजार का नोट ! ठीक ही है ............
ReplyDeleteबापू की "तारीफ़" में लिखा गया ये ब्लॉग मुझे पसंद आया.
ReplyDeleteदेख रहे हो बापू????
धन्यवाद.
WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM
बापू की तारीफ़ बहुत अच्छी कविता है।
ReplyDeleteपढकर बहुत अच्छा लगा
हमारे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
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