14.11.10

गुस्सा बहुत बुरा है। इसमे जहर छुपा है।

आज हम सब के प्यारे चाचा नेहरू का जन्म दिवस है।  14 नवंबर 1889 को ईलाहाबाद में जन्मे भारत के प्रथम प्रधान मंत्री श्री जवाहर लाल नेहरू के जन्म दिवस को हम 'बाल दिवस' के रूप में मनाते हैं। प्रस्तुत है एक बाल गीत जिसका शीर्षक है...


गुस्सा
.............

जीवन में अपने सीखो तुम
गुस्से पर काबू करना।
मीठी बोली बोल के बच्चों
दुश्मन का भी मन हरना।।

बाती जलती अगर दिये में
घर रोशन कर जाती है
बनी आग तो स्वयं फैलकर
तहस नहस कर जाती है

बहुत बड़ा खतरा है खुद में,
गुस्सा बेकाबू रहना।
जल्दी से बच्चों सीखो तुम
गुस्से पर काबू करना।।

खिलते हैं गर फूल चमन में
भौरें गाने लगते हैं
बजते बीन सुरीले जब भी
अहि को भाने लगते हैं

कौवे कोयल दोनों काले
एक बोल मधु का झरना।
जल्दी से बच्चों सीखो तुम
गुस्से पर काबू करना।।

सूरज करता क्रोध अगर तो
सोचो सबका क्या होता
कैसी होती धरती अपनी
कैसा यह अंबर होता

करती नदिया क्रोध जब कभी
कैसी होती है धरती
जल थल नभ का प्यार परस्पर
सिखलाता है दुख हरना।
जल्दी से सीखो बच्चों तुम
गुस्से पर काबू करना।।

इसीलिए कहता हूं तुमसे
क्रोध स्वयं सीखो सहना
पानी जैसा किसी रूप में
धूप शीत सीखो बहना
गुस्सा बुरा जहर के जैसा
बस सीखो इसको महना।
जल्दी से सीखो बच्चों तुम
गुस्से पर काबू करना।।
..........@देवेन्द्र पाण्डेय।

37 comments:

  1. गुस्सा बहुत बुरा है। इसमे जहर छुपा है।
    यकीनन ..
    बहुत सुन्दर सन्देश

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  2. सुन्दर सीख, शुक्रिया!

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  3. रचना तो काफी फलसफे वाली है, बच्चों से ज्यादा तो हमें वयस्कों के लिए लगी ... बच्चों को तो बचपने वाली भाषा में ही समझाना चाहिए, ऐसा मेरा मत है....

    कविता वो दमदार है... लिखते रहिये ....

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  4. बहुत हृदयस्पर्शी बाल कविता, आपकी तो काव्य प्रतिभा विलक्षण है आनंद जी ......

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  5. बहुत बढ़िया रचना है देवेंद्र जी ,
    ये बच्चों से ज़्यादा हम बड़ों को सीखने की ज़रूरत है ,
    इस सार्थक पोस्ट के लिये बधाई

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  6. इसीलिए कहता हूँ बच्चों, क्रोध कभी भी ना करना
    जब तुमको गुस्सा आए तो ठंडा पानी पी लेना।
    हर ठोकर सिखलाती हमको, कैसे है बचकर चलना
    जल्दी से सीखो बच्चों तुम, गुस्से पर काबू करना।
    आज बहुत सुन्दर सन्देश दिया है बच्चों को बाल दिवस पे उपहार अच्छा लगा। नेहरू जी को सादर श्रद्धाँजली।

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  7. बहुत अच्छी रचना ...केवल बच्चों को ही नहीं सीखनी हैं यह बातें ..बड़ों के लिए भी उपयोगी

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  8. सुंदर प्रस्तुति....आभार

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  9. देवेन्द्र जी, अलग अलग प्राकृतिक उदाहरण के माध्यम से आपने बहुत सुन्दर संदेश दिया है...
    बाल दिवस का नायाब तोहफ़ा है आपकी रचना.

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  10. करता सूरज अगर क्रोध तो सोचो सबका क्या होता
    कैसी होती यह धरती और कैसा यह अंबर होता ...
    सार्थक कविता आज के दिन देवेन्द्र जी ... आपको बाल दिवस ही हार्दिक शुभकामनाएं ...

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  11. प्रेरक प्रस्तुति।
    देवेन्द्र जी, हम भी कोशिश करेंगे गुस्सा न करने की।

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  12. ये गीत बच्चों को गवाने के लिये ठीक है.मगर गुस्सा या क्रोध प्राकृतिक गुण है जो ये समझनेसे खत्म नहीं होता की ये बुरा है.

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  13. क्रोध सब जला देता है। सुन्दर कविता।

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  14. बाल दिवस पर सुन्दर सीख देती कविता ! देवेन्द्र जी आप सुन्दर मन: ब्लागर हैं !

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  15. बहुत उपयोगी sikh di है bhai ji aapne |
    शुभकामनाये

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  16. जब तुमको गुस्सा आए तो ठंडा पानी पी लेना।
    bahut sunder.

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  17. बहुत बढ़िया सीख दी हैं आपने.
    निश्चित रूप से सभी को आपकी इस सीख पर अमल करनी चाहिए.
    धन्यवाद.
    WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM

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  18. बहुत मुश्किल काम है।

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  19. बच्चों से ज्यादा तो हमें जरुरत है गुस्से पे काबू करने कि बहुत अच्छी प्रेरणादायक पोस्ट

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  20. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना 16 -11-2010 मंगलवार को ली गयी है ...
    कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया

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  21. बिलकुल सही बात है देवेन्द्र जी ....क्रोध तो मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है....और गीत के माध्यम से बच्चों को ये सिख बहुत सुन्दर प्रयास....शुभकामनायें|

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  22. गुस्सा बहुत बुरा है। इसमे जहर छुपा है।
    बहुत बढ़िया सीख दी हैं आपने

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  23. बाल दिवस के परिप्रेक्ष में सबों के लिए सन्देश परक व साथर्क रचना .. हमें भी मनन अवश्य करना चाहिए . बधाई .........

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  24. वाह ...

    सुन्दर संदेशप्रद बच्चों बड़ों सबके लिए कल्याणकारी रचना...

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  25. वन्दे मातरम,
    यह सिख केवल बच्चों के लिए ही नहीं वरन हम सभी के लिए उपयोगी है...
    सार्थक एवं प्रभावी लेखन के लिए सादर शुभकामनायें |

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  26. देवेन्द्र जी! इसे आपने बाल गीत क्यों कहा.. यह तो हम जैसे बूढों को भी सीखनी चाहिए!

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  27. बच्चों को बहुत अच्छा सन्देश दिया है आपने बाल दिवस पर.
    ये कविता सभी के लिए सार्थक है.

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  28. गुस्सा बहुत बुरा है। इसमे जहर छुपा है।

    सार्थक एवं प्रभावी सन्देश लिए... प्रेरणादायक पोस्ट
    बढ़िया सीख....

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  29. बाती जलती अगर दिए में, घर रोशन कर देती है
    बने आग अगर फैलकर, तहस नहस कर देती है।
    बहुत बड़ा खतरा है बच्चों, गुस्सा बेकाबू रहना
    जल्दी से सीखो बच्चों तुम, गुस्से पर काबू करना।

    वाह.....क्या बात है .....!!

    करता सूरज अगर क्रोध तो सोचो सबका क्या होता
    कैसी होती यह धरती और कैसा यह अंबर होता।
    धूप-छाँव दोनों हैं पथ में, किस पर चाहोगे चलना
    जल्दी से सीखो बच्चों तुम, गुस्से पर काबू करना।

    क्या कहूँ देवेन्द्र जी ....?
    हर पंक्ति जीवन का फलसफा सिखाती है .....
    कितने सरल सहज शब्दों में आपने जीवन की तमाम सीख दे दी ....
    इस बाल कविता के लिए आपको नमन है ......!!
    अभी मैं सोच ही रही थी कि पिछली पोस्ट पर आप नहीं आये ..
    पता नहीं कहाँ व्यस्त हैं ....कि आप कि हाजरी लग गई ....

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  30. सार्थक एवं प्रभावी सन्देश लिए... प्रेरणादायक पोस्ट

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  31. बहुत ही अच्छा सन्देश.......
    यह कविता तो हम सब के लिए है !!!

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  32. .

    खिलते हैं जब फूल चमन में, भौंरे गाने लगते हैं
    बजते हैं जब बीन सुरीले, सर्प नाचने लगते हैं।
    कौए-कोयल दोनों काले किसको चाहोगे रखना
    जल्दी से सीखो बच्चों तुम, गुस्से पर काबू करना...

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    सार्थक एवं प्रेरणादायक पोस्ट !

    .

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  33. गुस्सा तो बड़ों के लिए भी बहुत बुरा है भाई ।

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  34. देवन्द्र जी,
    आपकी कविता बच्चों के साथ साथ बड़ों को भी सीख देती हुई भावनाओं की सुन्दर अभिव्यक्ति है !
    कविता तो सभी लिखते हैं मगर बच्चों के लिए सहज कविता लिखना बहुत ही मुश्किल है !
    बधाई !
    -ज्ञानचंद मर्मज्ञ

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  35. Behad sundar kavita!Gussa waqayi sabkuchh raakh kar deta hai!

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  36. गुस्सा बहुत बुरा है। इसमे जहर छुपा है।
    बहुत ही उम्दा

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