5.1.11

सुख ! चैन ! प्यार ! नदिया के पार।

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आज का ताजा समाचार
पेट्रोल-डीजल
और हुआ महंगा
प्याज सत्तर रूपये किलो
भ्रस्टाचार
सीमा पार
जनता बेचैन
सरकार लाचार।

हुर्र....!
लड़की
प्रेमी के साथ
फुर्र....!

अरे..रे..रे..रे..
घोर कलजुग यार !
किशोरी के साथ
चलती कार में
सामूहिक बलात्कार !

ठांय-ठांय
खत्म हुआ
जीवन का
कांय-कांय !

दुःखी परिवार
मांग रहा
मुआवजा
क्रोध शांत कर
भय से भाग रहा
हत्यारा
पत्नी
भरी ज़वानी में
विधवा
बच्चों का सपना
चूर-चूर।

टूटी नाव
जीवन मझधार
पल-पल हाहाकार
सुख ! चैन ! प्यार !
नदिया के पार।
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24 comments:

  1. सुख ! चैन ! प्यार !
    नदिया के पार।
    देवेन्द्र जी कविता नहीं आईना है .. शायद इसी को इक्कीसवीं सदी कहते हैं.

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  2. वास्तविकता से परिचय भयभीत करता है. बहुत खूबसूरती से बयाँ किया है आपने. धन्यवाद. नववर्ष की शुभकामनायें.

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  3. देवेन्द्र भईया निशब्द कर दिया आपने इस कविता के माध्यम से । सच्चाई बयां करती लाजवाब रचना ।

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  4. अगर सच कड़वा होता हो तो कहूँगा ओह कटु वचन !

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  5. सटीक अभिव्यक्ति। कमाल की रचना। बधाई।

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  6. देख तेरे इस देश की हालत, क्या हो गयी भगवान....

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  7. aapne to news channel ko kavita me la diya..

    lekin yahi satya hai....

    sabdo me khubsurti se sanjoya....badhai:)

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  8. hurrrr, are-re-re, thay-thayn

    nadiya ke par.

    naye varsh ki hardik subhkamnayein.

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  9. देवेन्द्र जी , नए साल में नीम के पकोड़े !
    चलिए कुछ मूंह मीठा कीजिये , हमारे ब्लॉग पर ।
    शुभकामनायें ।

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  10. अखबार ..... नहीं नहीं देश की हेड लाइन लिख दी आपने तो ....
    पर अब ये रोज़ की बातें हो गयी हैं ...

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  11. घोटालो की तो बहार आयी हुयी है .......आपके भी डिपार्टमेंट में कोई चांस हो तो मौक़ा चुकियेगा मत ....चार पाच सौ करोड़ इधर उधर कर देगे तो कोई बड़ा पहाड़ नहीं टूट जाएगा ....आम बात है . हम एक उभरती आर्थिक महाशक्ति है .....इतनी छोटी रकम तो ऐं- वें ही एडजस्ट हो जायेगी .

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  12. मीठे कवच में लिपटी कड़वी गोली!!

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  13. यही सब हो रहा है, जिसे सहजता से स्वीकार कर लिया जाता है...
    बहुत अच्छी रचना है.

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  14. घोर निःशब्दता की स्थिति बन आई है...क्या कहूँ...????

    नमन है आपकी कलम को...ऐसी अभिव्यक्ति को..पारखी नजर को..संवेदनशील ह्रदय को....

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  15. हुर्र....!
    लड़की
    प्रेमी के साथ
    फुर्र....!

    और

    ठांय-ठांय
    खत्म हुआ
    जीवन का
    कांय-कांय !

    में जिस प्रकार अति संक्षेप में एक वृहत,विकट स्थिति को रेखांकित किया गया है, काव्य कला का बेजोड़ नमूना है यह...

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  16. देवेन्द्र जी,


    बात कहाँ से कहाँ जोड़ दी है आपने......बहुत खूब....बहुत बढ़िया व्यंग्यात्मक पोस्ट है |

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  17. अच्छा लिखा ।
    मकर संक्रान्ति पर रोचक और वास्तविक का संप्रेषण है ।

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  18. महगाई के कारण चाँद देखकर रोटी नजर आये,और समाचारों से दिल दहल जाए.

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  19. वास्तविकता से परिचय कराती रचना ..

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  20. आज का ताजा समाचार बहुत सही लिखा है आपने ! रोज यही होता है . धन्यवाद. नववर्ष की शुभकामनायें..

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  21. ताज़ा समाचार तो अब जीवन का विद्रूप सच बन गया है ... आँख खोलो नहीं कि ...ये तांडव दिखने लगता है .. आह... कितनी वास्तविक रचना ..आपको बधाई ..

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  22. मकर संक्राति ,तिल संक्रांत ,ओणम,घुगुतिया , बिहू ,लोहड़ी ,पोंगल एवं पतंग पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं........

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