छठ के महान पर्व पर वाराणसी के घाटों पर सूर्योदय के समय का नजारा बड़ा ही अद्भुत था। सूर्योदय के साथ ही हर हर महादेव के नारे की गूँज दूर-दूर तक सुनाई दे रही थी। सूर्य को अर्घ्य देने के लिए उमड़े भक्तों का उत्साह देखते ही बनता था। आज मार्निंग वॉक पर न जा कर गंगा वॉक का आनंद लिया और नाव में बैठकर गंगा के घाटों की कुछ तश्वीरें खीची। इन तश्वीरों के साथ आप भी सुबहे बनारस का आनंद लीजिये।
आइये सूर्य देव आपका स्वागत है।
घाटों पर आस्था और श्रद्धा का ज्वार
अपन तो मस्त हैं।
अस्सी घाट पर उमड़ा जन सैलाब
समझा रहा था कि सूर्य देव के साथ हींचो आर..
अर्घ्य देने के लिए आतुर महिलाएं...
श्रद्धालु भक्त
अस्सी घाट पर आसन जमाये साधू। बंदर ढेर मजा ले रहा था।
छठ पर्व के विषय में क्या लिखूं....मुझसे अधिक तो आप ही जानते हैं, धन्यवाद।
सुबह के सूरज के दर्शन हो गए ... अच्छे चित्र
ReplyDeleteछठ पर आप पूरे बनरसी-मूड में हैं....नीचे बाबाजी कुछ खफ़ा-से हैं !
ReplyDeleteसुन्दर चित्र !
banras darshan ho gaya .....
ReplyDeletejai baba banras...
आपको छट पर्व की शुभकामनायें !
ReplyDeleteSUNDAR CHITRA...
ReplyDeletenice and excellent. congratulation.
ReplyDeleteछठ पर्व की जीवंत तस्वीरें दिखाने के लिए बहुत आभार!
ReplyDeleteशुभकामनाओं के साथ सचित्र प्रस्तुति के लिये आभार ।
ReplyDeleteबहुत मनोरम दृश्य-चित्रण ...
ReplyDeleteसुन्दर तस्वीरें :-)
ReplyDeleteचित्रों ने कितना कुछ कह डाला।
ReplyDeleteबन्दर वाली फोटो मस्त है !
ReplyDeleteक्या बात है ! मॉर्निंग वॉक की जगह गंगा वॉक ! वो भी नाव में बैठकर ।
ReplyDeleteबड़ी रंग बिरंगी दुनिया नज़र आ रही है अस्सी घाट पर ।
सही गंगा के मज़े लिए जा रहे हैं ।
आपकी हर तस्वीर में भारतीय पर्व की महक दिख रही है बहुत सुंदर चित्र....आभार
ReplyDelete.समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है।
bhut achcha chath ke seen ke sath bandar ka photo bhi.thanks.
ReplyDeleteआपको छट पर्व की शुभकामनायें !
ReplyDeleteयह शायद एकमात्र ऐसा पर्व है जिसे मनाने के लिए न पंडित की जरूरत है, न मंदिर की, न प्रतिमा की। दीपावली, दशहरे और होली की तरह यह किसी की जीत या हार का पर्व नहीं। सुथनी जैसे सर्वहारा फल न्यूनतम को सम्मान देने और सादगी के प्रतीक हैं। पर्यावरण अनुकूलता इतनी कि पूजन सामग्री भी गोईठा पर ही पकाने का विधान !
ReplyDeleteसाकार और रूप मंडित बनारस!
ReplyDeleteaaj aana ho hi gaya aapke blog tak sir.bahut bahut badhai aapko diwali aur chath pooja ki...
ReplyDeleteआप तो बहुत ही भोले-भाले लग रहे है फोटो मे .
ReplyDeleteकाठमांडू के रानी पोखरी मे भी छठ का बहुत धुमधाम था,भीड बहुत ज्यादे थी और मै येक टीनएजरको शहर घुमा रहा था.येक बात मेरी समझ मे नहीं आती कि ये भीड,जहा भी पानी हो वहीं लग जाती है छठ पर,अपने अपने छत पे जाकार ये क्यों नहीं सुर्य उपासना कर लेते ? बहुत अछ्छा होता.
अध्बुध नज़ारे को खूबसूरती से कैद किया है आपने ... बधाई ...
ReplyDeleteयह अंदाज भी निराला है।
ReplyDeleteबहुत उम्दा तस्वीर और जानकारी,आभार.
ReplyDeleteमज़ा आ गया जी, आप इसी तरह भोले बाबा की नगरी के दर्शन कराते रहिये।
ReplyDeleteजादू के साथ भावपूर्ण स्मरण पोस्ट प्रेषित करने का आभार........बधाई !
ReplyDeleteछठ पर्व का अनोखा शब्द-चित्र... आई मीन शब्द और चित्र!!
ReplyDeleteसुबह-ए-बनारस के नजारे भी खूब हैं।
ReplyDeleteसुन्दर चित्र
ReplyDeleteमैया की जय हो..
ReplyDeleteछठ की छटा बिखेरता सुन्दर पोस्ट.
ReplyDeleteसुंदर!
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