2.11.11

छठ की छटा


छठ के महान पर्व पर वाराणसी के घाटों पर सूर्योदय के समय का नजारा बड़ा ही अद्भुत था। सूर्योदय के साथ ही हर हर महादेव के नारे की गूँज दूर-दूर तक सुनाई दे रही थी। सूर्य को अर्घ्य देने के लिए उमड़े भक्तों का उत्साह देखते ही बनता था। आज मार्निंग वॉक पर न जा कर गंगा वॉक का आनंद लिया और नाव में बैठकर गंगा के घाटों की कुछ तश्वीरें  खीची। इन तश्वीरों के साथ आप भी सुबहे बनारस का आनंद लीजिये।



आइये सूर्य देव आपका स्वागत है।



घाटों पर आस्था और श्रद्धा का ज्वार





अपन तो मस्त हैं।




अस्सी घाट पर उमड़ा जन सैलाब



समझा रहा था कि सूर्य देव के साथ हींचो आर..


अर्घ्य देने के लिए आतुर महिलाएं...


श्रद्धालु भक्त

अस्सी घाट पर आसन जमाये साधू। बंदर ढेर मजा ले रहा था।

छठ पर्व के विषय में क्या लिखूं....मुझसे अधिक तो आप ही जानते हैं, धन्यवाद।

31 comments:

  1. सुबह के सूरज के दर्शन हो गए ... अच्छे चित्र

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  2. छठ पर आप पूरे बनरसी-मूड में हैं....नीचे बाबाजी कुछ खफ़ा-से हैं !

    सुन्दर चित्र !

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  3. banras darshan ho gaya .....


    jai baba banras...

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  4. आपको छट पर्व की शुभकामनायें !

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  5. nice and excellent. congratulation.

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  6. छठ पर्व की जीवंत तस्वीरें दिखाने के लिए बहुत आभार!

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  7. शुभकामनाओं के साथ सचित्र प्रस्‍तुति के लिये आभार ।

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  8. बहुत मनोरम दृश्य-चित्रण ...

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  9. सुन्दर तस्वीरें :-)

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  10. चित्रों ने कितना कुछ कह डाला।

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  11. बन्दर वाली फोटो मस्त है !

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  12. क्या बात है ! मॉर्निंग वॉक की जगह गंगा वॉक ! वो भी नाव में बैठकर ।
    बड़ी रंग बिरंगी दुनिया नज़र आ रही है अस्सी घाट पर ।

    सही गंगा के मज़े लिए जा रहे हैं ।

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  13. आपकी हर तस्वीर में भारतीय पर्व की महक दिख रही है बहुत सुंदर चित्र....आभार
    .समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है।

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  14. bhut achcha chath ke seen ke sath bandar ka photo bhi.thanks.

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  15. आपको छट पर्व की शुभकामनायें !

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  16. यह शायद एकमात्र ऐसा पर्व है जिसे मनाने के लिए न पंडित की जरूरत है, न मंदिर की, न प्रतिमा की। दीपावली, दशहरे और होली की तरह यह किसी की जीत या हार का पर्व नहीं। सुथनी जैसे सर्वहारा फल न्यूनतम को सम्मान देने और सादगी के प्रतीक हैं। पर्यावरण अनुकूलता इतनी कि पूजन सामग्री भी गोईठा पर ही पकाने का विधान !

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  17. साकार और रूप मंडित बनारस!

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  18. aaj aana ho hi gaya aapke blog tak sir.bahut bahut badhai aapko diwali aur chath pooja ki...

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  19. आप तो बहुत ही भोले-भाले लग रहे है फोटो मे .
    काठमांडू के रानी पोखरी मे भी छठ का बहुत धुमधाम था,भीड बहुत ज्यादे थी और मै येक टीनएजरको शहर घुमा रहा था.येक बात मेरी समझ मे नहीं आती कि ये भीड,जहा भी पानी हो वहीं लग जाती है छठ पर,अपने अपने छत पे जाकार ये क्यों नहीं सुर्य उपासना कर लेते ? बहुत अछ्छा होता.

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  20. अध्बुध नज़ारे को खूबसूरती से कैद किया है आपने ... बधाई ...

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  21. यह अंदाज भी निराला है।

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  22. बहुत उम्दा तस्वीर और जानकारी,आभार.

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  23. मज़ा आ गया जी, आप इसी तरह भोले बाबा की नगरी के दर्शन कराते रहिये।

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  24. जादू के साथ भावपूर्ण स्मरण पोस्ट प्रेषित करने का आभार........बधाई !

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  25. छठ पर्व का अनोखा शब्द-चित्र... आई मीन शब्द और चित्र!!

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  26. सुबह-ए-बनारस के नजारे भी खूब हैं।

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  27. सुन्दर चित्र

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  28. मैया की जय हो..

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  29. छठ की छटा बिखेरता सुन्दर पोस्ट.

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