यह तश्वीर भी गंगा घाट की है। इन साधूओं को सामने जलती लकड़ी पर खाना पकाते, खाते देखा हूँ। बीच वाले साधू की नाक सूंड़ की तरह निकली है। एक ही आँख दिखाई दे रही है। यह किसी रोग के कारण होगा जैसा लगता है। अधिक जानकारी नहीं है। हर एक तश्वीर, हर एक घाट का अपना रोचक इतिहास है। इच्छा है कि अलग-अलग जानकारी बटोर कर लिखूँगा लेकिन अभी तक तो अवसर नहीं मिला।
हमने सोने से पहले सन्देशा छोड़ा था , नि:संदेह तब आप सुहाने सपनों के पीछे भाग रहे होंगे अब जो सुबह फिर से वापस आये हैं , तब आप दूर कहीं टहलकर देह की चर्बी त्याग रहे होंगे
गंगा के घाट का नाम सुनते ही गंगा में विलीन होती विस्तीर्ण सीढ़ियाँ (हालाँकि वही सीढियां नीचे से ऊपर की ओर भी जाती हैं, किन्तु सदा ऊपर से नीचे जाती सीढ़ियों का ही स्मरण होता है) दिखाई देती हैं... मेरी तीन माओं में से एक गंगा माँ भी है, शायद इसीलिए उसके घाट उसकी खुली बाहों की तरह प्रतीत होते हैं.. पटना, बनारस और विन्ध्याचल... हमारे परिवार का अभिन्न अंग रहे हैं!! आपकी चित्रमाला वैसे भी मनमोहक होती है, यह तो एक आध्यात्मिक और सूफियाना श्रृंखला लगी!! मन गदगद हो गया!! पाण्डेय जी, आभार माता का दर्शन करवाने हेतु!!
बहुत घूमा हिन्दुस्तान ,अमरीका ,कनाडा ,काशी दर्शन रह गया ..दर्शन आपने करा दिया अब देखना रिहर्सल होगा सशरीर .. .कृपया यहाँ भी पधारें -
शगस डिजीज (Chagas Disease)आखिर है क्या ? शगस डिजीज (Chagas Disease)आखिर है क्या ?
माहिरों ने इस अल्पज्ञात संक्रामक बीमारी को इस छुतहा रोग को जो एक व्यक्ति से दूसरे तक पहुँच सकता है न्यू एच आई वी एड्स ऑफ़ अमेरिका कह दिया है . http://veerubhai1947.blogspot.in/
गत साठ सालों में छ: इंच बढ़ गया है महिलाओं का कटि प्रदेश (waistline),कमर का घेरा साधन भी प्रस्तुत कर रहा है बाज़ार जीरो साइज़ हो जाने के .
तमाम चित्र बोलते से है अपनी सहज स्वाभाविकता में शुक्रिया .. .कृपया यहाँ भी पधारें -
शगस डिजीज (Chagas Disease)आखिर है क्या ? शगस डिजीज (Chagas Disease)आखिर है क्या ?
माहिरों ने इस अल्पज्ञात संक्रामक बीमारी को इस छुतहा रोग को जो एक व्यक्ति से दूसरे तक पहुँच सकता है न्यू एच आई वी एड्स ऑफ़ अमेरिका कह दिया है . http://veerubhai1947.blogspot.in/
गत साठ सालों में छ: इंच बढ़ गया है महिलाओं का कटि प्रदेश (waistline),कमर का घेरा साधन भी प्रस्तुत कर रहा है बाज़ार जीरो साइज़ हो जाने के .
bahut sundar chitr sankalan..
ReplyDeleteवाह अपाने तो घर बैठे ही यात्रा करवा दी
ReplyDeleteआज के दिन हम लोग गाँव में नीलकंठ पक्षी के दर्शन करते थे,पर अब यहाँ कहाँ ..?
ReplyDeleteबहूत खूबसूरत -आपतो प्रोफेसनल फोटोग्राफर हो गए !
ReplyDeleteसंवाद की गंगा बने चित्र..
ReplyDeleteआपने ये सारे चित्र इतनी खूबसूरती से लिए हैं, की देख कर ही मन प्रसन्न हो गया..केदार घाट और दशाश्वमेघ घाट की तस्वीर तो मैं बस देखता ही रहा!! :)
ReplyDeleteआखिरी तस्वीर तो गज़ब है.
ReplyDeleteकृपया दूसरी तस्वीर के बारे में चर्चा करें !
ReplyDeleteयह तश्वीर भी गंगा घाट की है। इन साधूओं को सामने जलती लकड़ी पर खाना पकाते, खाते देखा हूँ। बीच वाले साधू की नाक सूंड़ की तरह निकली है। एक ही आँख दिखाई दे रही है। यह किसी रोग के कारण होगा जैसा लगता है। अधिक जानकारी नहीं है। हर एक तश्वीर, हर एक घाट का अपना रोचक इतिहास है। इच्छा है कि अलग-अलग जानकारी बटोर कर लिखूँगा लेकिन अभी तक तो अवसर नहीं मिला।
Deleteवो तो ठीक है मगर , साधुओं की अड़ी दो साईंयों के बीच पड़ी का कोई उल्लेख नहीं किया आपने :)
Deleteहमने सोने से पहले सन्देशा छोड़ा था , नि:संदेह तब आप सुहाने सपनों के पीछे भाग रहे होंगे
ReplyDeleteअब जो सुबह फिर से वापस आये हैं , तब आप दूर कहीं टहलकर देह की चर्बी त्याग रहे होंगे
Mai Banaras me rah chuki hun....purani yaaden taza kar deen aapke chitron ne!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर दृश्य... यादें ताज़ा हो गईं...
ReplyDeleteइन घाटों पर क्या क्या होता है , कृपया यह भी बताएं .
ReplyDeleteप्रत्येक घाटों के बारे में लिखने की मेरी भी इच्छा है। समय मिलने पर...
Deletenice picture....thanks for sharing
ReplyDeleteजितने सुन्दर और साफ़ चित्र हैं काश गंगा कों भी हम उतना ही साफ़ रख पाते ...
ReplyDeleteगंगादशहरे के मेले ने बचपन की स्मृतियों को एक बार फिर ताज़ा कर दिया।
ReplyDeleteखूबसूरत चित्र.... वाह!
ReplyDeleteसादर।
बहुत ही सुन्दर चित्रमाला प्रस्तुत की है आपने
ReplyDeleteआभार
लिखिए विस्तार से एक एक घाट के बारे में, अड़ी \ पड़ी (बतर्ज अली साहब) के बारे में, प्रतीक्षा रहेगी|
ReplyDeleteबहुत सुन्दर चित्र हैं बनारस के घाटों के। लिखिये कभी विस्तार से इनमे बारे में।
ReplyDeleteखूबसूरत चित्र ...घाटों के वर्णन की प्रतीक्षा हमें भी रहेगी !
ReplyDeleteबनारस वासियों के घट-घट में बसे है गंगा के घाट...मगर घाटों पर भई भीड़ संतन की तो नहीं दिख रही! बहरहाल, चित्र बहुत ही आकर्षक बन पड़े हैं !!
ReplyDeleteगंगा के घाट का नाम सुनते ही गंगा में विलीन होती विस्तीर्ण सीढ़ियाँ (हालाँकि वही सीढियां नीचे से ऊपर की ओर भी जाती हैं, किन्तु सदा ऊपर से नीचे जाती सीढ़ियों का ही स्मरण होता है) दिखाई देती हैं... मेरी तीन माओं में से एक गंगा माँ भी है, शायद इसीलिए उसके घाट उसकी खुली बाहों की तरह प्रतीत होते हैं.. पटना, बनारस और विन्ध्याचल... हमारे परिवार का अभिन्न अंग रहे हैं!!
ReplyDeleteआपकी चित्रमाला वैसे भी मनमोहक होती है, यह तो एक आध्यात्मिक और सूफियाना श्रृंखला लगी!! मन गदगद हो गया!! पाण्डेय जी, आभार माता का दर्शन करवाने हेतु!!
आपके कमेंट से श्रम सार्थक लगने लगा..और आपको यहाँ देखकर बहुत खुशी हुई। एकाध महीने की दूरी तो मान कर चल रहा था।
Deleteसुंदर चित्र ।
ReplyDeleteबहुत घूमा हिन्दुस्तान ,अमरीका ,कनाडा ,काशी दर्शन रह गया ..दर्शन आपने करा दिया अब देखना रिहर्सल होगा सशरीर .. .कृपया यहाँ भी पधारें -
ReplyDeleteशगस डिजीज (Chagas Disease)आखिर है क्या ?
शगस डिजीज (Chagas Disease)आखिर है क्या ?
माहिरों ने इस अल्पज्ञात संक्रामक बीमारी को इस छुतहा रोग को जो एक व्यक्ति से दूसरे तक पहुँच सकता है न्यू एच आई वी एड्स ऑफ़ अमेरिका कह दिया है .
http://veerubhai1947.blogspot.in/
गत साठ सालों में छ: इंच बढ़ गया है महिलाओं का कटि प्रदेश (waistline),कमर का घेरा
साधन भी प्रस्तुत कर रहा है बाज़ार जीरो साइज़ हो जाने के .
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
तमाम चित्र बोलते से है अपनी सहज स्वाभाविकता में शुक्रिया .. .कृपया यहाँ भी पधारें -
ReplyDeleteशगस डिजीज (Chagas Disease)आखिर है क्या ?
शगस डिजीज (Chagas Disease)आखिर है क्या ?
माहिरों ने इस अल्पज्ञात संक्रामक बीमारी को इस छुतहा रोग को जो एक व्यक्ति से दूसरे तक पहुँच सकता है न्यू एच आई वी एड्स ऑफ़ अमेरिका कह दिया है .
http://veerubhai1947.blogspot.in/
गत साठ सालों में छ: इंच बढ़ गया है महिलाओं का कटि प्रदेश (waistline),कमर का घेरा
साधन भी प्रस्तुत कर रहा है बाज़ार जीरो साइज़ हो जाने के .
http://kabirakhadabazarmein.blogspot.in/
इन चित्रों ने संस्कृति और समाज को यादों में उकेरने का कार्य किया है सुखद लगा आपका प्रयास ...../
ReplyDeleteफोटो सुन्दर हैं.ब्रह्माघाट का भी फोटो देखना चाहता हूँ इन घाटों में.
ReplyDeleteआपके चित्रों के माध्यम से हम भी बनारस पहुँच जाते हैं
ReplyDelete