11.6.12

अच्छों की सूची प्रकाशित हुई....



फिसलन हुई तो फिसल जायेंगे
बुढ्ढे नही जो संभल जायेंगे।


अच्छों की सूची प्रकाशित हुई
 बताओ बुरे अब किधर जायेंगे।


न इधर के रहे न उधर के हुए
झूठी तारीफ लेकर क्या पायेंगे।
J

82 comments:

  1. सोचने की बात है। :)

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    1. सोचने पर लगता है..डूब मरने की बात है।:)

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  2. तो ब्लॉग-लेखन खुद को अभिव्यक्त करने की इच्छापूर्ति के लिए है या किसी तारीफ़ के लिए :)

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  3. १)सबसे ज़्यादा फिसलन की आशंका बुड्ढों की ही होती है |

    २)बुरे हैं तभी अच्छे पहचाने जाते हैं |

    ३)झूठी तारीफ ही सुनाई देती है,सच्ची के वक्त कानों में पिघला शीशा घुस जाता है |

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    1. 1)मैं इतना कटु नहीं लिख सकता..हुआ नहीं हूँ, करीब तो आ ही गया हूँ।:)
      (2) सही है। बुरों का भी सम्मान समारोह मनाइये।:)
      (3)सही पहचाना, पिखला शीशा ही तो निकला है।:)

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    1. बढ़िया आप पढ़ते नहीं, खुराफात से मस्त हो गये।(:

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    2. आपको ऐसा लगता है क्या !! (मेरे ख्याल से कमेन्ट नहीं करने का अर्थ यह नहीं होता कि आदमी पढता नहीं..)

      ..... मुझे तो लगा कि आप ब्लॉग जगत में चल रही छिछलपंथी पर तंज कस रहे हैं....खुराफात को गंभीरता से ले लिया शायद :-)

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    3. जी, मुझे यही लगा था। इसीलिए यहाँ आपको देखकर अचरज में पड़ गया। आपको कष्ट पहुँचा इसके लिए खेद है।

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  5. हमतो खुद को भला मानते हैं सनम
    पर सभी ने हमें, आज ठुकरा दिया !

    न सूरज ने देखा न शिवजी ने परखा
    इस दुनिया को कैसे अब भरमाएंगे !

    अपना चेहरा न पाया किसी लिस्ट में
    अब बताओ जरा, हम किधर जायेंगे!

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    1. ho gaye aap ab jag-jit
      ban-ke sabke man ke meet
      gate rahte jo mere geet

      pranam.

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    2. सतीश जी...

      वाकई आप कवि ह्रदय हैं। मेरी तरह आहत हो गये।:) कितना सही कहा गया है..
      आह! से निकला होगा गान। मस्त निकला है। आपके प्रश्न का जवाब ये रहा...

      सागर में देखी है दूधिया चाँदनी
      अब वहीं सर रखकर सो जायेंगे।:)

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    3. ब्लॉग जगत में कैसे कैसे लोग हैं,अपने बाल नोचने का दिल करता है !


      देवेन्द्र भाई ...
      पुरस्कार बंट गए, हम और आप रह गए देखते ! साला आखिरी भी नहीं दिया किसी ने
      :(
      इनके भरोसे बैठोगे तो केशव भी नाराज होंगे, क्यों न हम कुछ करें !
      अली साहब को कुर्सीमैन बनाएंगे, लोग उनकी इमानदारी पर भरोसा करेंगे ! कुल जमां १०-१२ ब्लोगर भी मिल गए तो काम हो गया !अनूप शुक्ला को भी पटाया जा सकता है, अरविन्द मिश्र से आप बात कर लेना उम्मीद है वे भी तैयार हो जायेंगे !
      सुना है ताऊ भी मैदान में आ गया है वह दशक पुरस्कार देने के चक्कर में है मगर वहाँ का खर्चा ज्यादा होगा,ताऊ घाघ है ...
      उम्मीद है चुप नहीं रहोगे !

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    4. पुरस्कार की तो कोई उम्मीद ना थी। जानता हूँ हमसे अच्छे बहुत हैं। दुःख तो पसंद करने वालों ने दिया। किसी ने झूठे से भी नाम नहीं लिया! पूरी लिस्ट से ही पत्ता गोल!!(:

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    5. सतीश भाई जी जब लिस्‍ट में पायेंगे नहीं नाम
      एक सूची और बनाएंगे उसमें होगा सबका नाम

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    6. हम तो जोगी, प्रेम के रोगी, धूनी वहीं रमायेंगे ... (एक फ़िल्मी गीत से)

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    7. दद्दा घाघ बहुत हैं - कुछ घोषित कुछ अघोषित..

      बाकिय हम तो 'इस्मार्ट' बाबा हैं - प्रेम के रोगी - धुनी तो हर जगह जमायेंगे.

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  6. बुरों की एक अलग सूची प्रकाशित की जाए.......
    :-)

    अनु

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    1. सभी यहीं आ जायेंगे, नम्बरिंग आपके जिम्मे।:)

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    2. हम नंबर वन पर.............
      then first come first serve :-)

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    3. क्यों, बाबा को भूल गए क्या सब.

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  7. उस लिस्ट में पहला नंबर लेने की जुगाड़ की जाए या आखिरी ...??

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    1. पहला नम्बर लेंगे तो अच्छों के करीब पहुँच जायेंगे।:)

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  8. अच्छों की सूची प्रकाशित हुयी ...

    आप भी इशारों इशारों में बात करने लगे ... आप तो एइसे न थे ...

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    1. आप इशारों में पूरा दर्शन रख देते हैं तब नहीं..?:)

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    2. हालत 'एइसे' बना देते हैं, पंडित जी का करें.

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    1. अपनी पिछली दो नारी वादी पोस्टों, कविता.. 'मैं तो आम हूँ' और 'कन्या भ्रूण हत्या' में आपके यही दो शब्द देखना चाहता था..सही कहा। हाय! इस खुराफात में दिखा।(:

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    2. sorry
      idhar bahut vyasth rahii padha haen dono ko par kament nahin diyaa

      sorry again

      waese ek baat kahun

      khuraafat mae bhi uthin hi ruchii rakhtee hun jitna naari aadharit vishyon mae

      aap ki regualr paathak hun

      aur

      saal bhar ab achho kaa danka peetaegaa
      sal bhar baad burae apnae aap pataa chal jayegae

      ham aap tab bhi blog likhaegae

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    3. आप पढ़ती हैं इतना जानना ही बहुत है। मैं ही गफ़लत में था। sorry तो मुझे कहना चाहिए।...इस कमेंट के लिए धन्यवाद।

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  10. वैसे वाह में एक 'आह' निहित मानी जाए :)

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    1. मान लिया बाबा।

      आप हिम्मती हैं वरना लोग आहें भरने में भी लजाने लगते हैं।:)

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    2. :) अरे भाई अब लोग चैन से रोने भी नहीं देते.

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  11. यहीं रहेंगे और ब्लॉग लेखन करेंगे
    ना इधर जायेंगे ना उधर जायेंगे.... :)

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    1. जानकर खुशी हुई। हम भी यहीं रहेंगे।:)

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    2. दुखी मन मेरे सुन मेरा कहना, जहाँ नहीं चैना, वहाँ नहीं रहना (पुनः, एक फ़िल्मी गीत से)

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    3. जीना यहाँ मारना यहां ... इसके सिवा जाना कहां ...

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  12. बहुत सच कहा है....

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    1. बहुत कहाँ ? थोड़ा ही तो कहा।:)

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  13. अंत में अंग्रेज़ी का 'जे' है... मतलब समझ नहीं आया

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    1. पोस्ट में 'जे' नहीं दिखता लेकिन डैशबोर्ड में दिखता है। मुझे लगता है मेरी बड़ी वाली स्माइली डैशबोर्ड में 'जे' बन जाती है। दूसरा कोई अर्थ नहीं है।..धन्यवाद।

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    2. एम एस वर्ड में समाईली : गूगल बाबा की शरण में आकार जे बन जाता है..... जैसे अकेले में रोता ब्लोगर सामने आकार समायेली लगा खुश नजर आता है.

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  14. देखन में छोटे लागे घाव करें गंभीर :-)

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    1. अरे नहीं इमरान भाई। उद्देश्य घाव देना नहीं सिर्फ मौज मस्ती है। आहें भरने में कैसी शरम?:)

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  15. :) अपने अपने ब्लॉग में ही रम जायेंगे.

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  16. अभी आगे आगे देखिये होता है क्या इब्दितये ब्लागरी पुरस्कारों पर रोता है क्या ? ..यह एक नयी गोलबंदी है-स्वनामधन्य एलीट ब्लागर्स की ...... :)

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    1. एलीट नाम सुना हुआ लगता है।

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    2. पता नहीं, एलियन तो सुना था.

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    3. लो बोलो हमने तो पूरी पोस्ट लिखी थी इसी नाम से स्मार्ट इंडियन जी और आप "सुना" कह रहे हैं . बस फरक इतना हैं आज कल वो कह रहे जो तब नेट के उधर थे . हिंदी ब्लोगिंग के एलीट ब्लोगरhttp://mypoeticresponse.blogspot.in/2011/09/blog-post_23.html

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  17. प्रश्न विचारणीय है..

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    1. हर पोस्ट पर इतने तारीफ मिलते हैं..क्या वे सब झूठे हैं ? :)

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  18. कहाँ जाएगें अच्छे अच्छों को छोड़कर
    अच्छों के संग हम भी धिक जाएगें।:)))

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    1. अच्छों को छोड़ने का खयाल तो सपने में भी नहीं।:)

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  19. वाकई प्रश्न विचारणीय है :-)

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  20. विभेदक रेखा को लगता है आपने देखा है

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    1. विभेदक रेखा को आधार बनाकर उस पर लम्ब गिराना है।:)

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  21. एकदम सही और सटीक लिखा है आपने :)

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  22. झूठी तारीफ लेकर क्या पाएंगे .....कडवा सच इन शब्दों में

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  23. और क्यूंकि बात निकली है तो कहना चाहूँगा कि आप को खुश होना चाहिए कि बना रहे बनारस पर आज तक हिन्दी-उर्दू के तमाम कालजयी लेखकों को कुल मिली है जितनी टिपण्णी नहीं मिली है जितनी आपको एक पोस्ट पर मिल चुकी है....या फिर यहाँ मौजूद तमाम सज्जनों को उनके पोस्ट पर मिलती रहती है :-)

    अधिकतर ब्लॉग को पढ़ने की कोशिश रहती है, इन कोशिशों का नतीजा यह रहा कि हिन्दी के अधिकांश ब्लॉग अपठनीय हैं...सस्ता मनोरंजन उद्देश्य न हो तो इनमें से ज्यादातर ब्लॉग समय की बर्बादी मात्र हैं....

    मैंने यह सूची देखी और यह भी देखा कि हिन्दी ब्लॉग में कैसी चीजें ज्यादा पढ़ी जाती हैं....

    हम जैसे बहुत से लोगों को लगा था कि साहित्य और पत्रकारिता की मठाधीशी का जवाब होगा ब्लॉग.... लेकिन ब्लॉग ने तो बहुत कम से समय में वह सारी 'सीमाएं' लांघ ली जिसे पार करने में प्रिंट को लंबा वक्फा लगा था...

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    1. जिसके पास इतने प्रशंसक हों उसे तो उस सूची में शामिल हो जाना चाहिए था! लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसका मीधा मतलब यह है कि कमेंट से खुश होना हमारी भूल है। यही बात मैं कहना चाहता था....झूठी तारीफ लेकर क्या पायेंगे?

      अच्छा साहित्य पढ़ना और मौज लेना दोनो ही अपना शौक है। ब्लॉग जगत में दोनो ही उपलब्ध है। जब जो मूड में आया कर लिया।:) हमेशा मूड एक जैसा नहीं रहता। गंभीर विषयों पर ध्यानकेंद्रित करना हमेशा आसान नहीं होता।

      ब्लॉग ने कम समय में वे सारी सीमाएं इसलिए लांघ ली कि यहां कोई भी आने के लिए स्वतंत्र है। इसके लिए किसी विशेष योग्यता/साहित्यकार होने की शर्त नहीं है। जैसे समाज में भांति-भांति के लोग हैं वैसे ही ब्लॉगर भी अनगिन रूचियों वाले हैं। यह ऐसे ही चलता रहेगा। विचारों का यह आदान-प्रदान प्रिंट मिडिया कहाँ दे पाता? मुझे तो यह लाभ बहुत बड़ा लगता है।

      ..खुलकर अपने विचार रखने के लिए आपाका आभारी हुआ।

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    2. लो : आ गए टीप के मारे.

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  24. हम भी पर्चा दाखिल करेंगे इस सूची के लिए:)

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    1. आर.टी.आई अर्ज़ी?

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    2. संजय जी
      अरे कोई तो पुरुस्कार और लिस्ट हम जैसे बुरे ब्लोगरो के लिए छोड़ दीजिये आप तो हर लिस्ट में विराजमान है सबसे ऊपर के नम्बरों में ;) इन बुरे ब्लागरो के लिस्ट में आप की कोई जगह ना होगी :)

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    3. बिलकुल सही.... बाऊ इथे बस दिलजले बैठे है..


      तुम्हे जिंदगी के उजाले मुबारक.....

      ....
      ...
      ..
      :)

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    4. देश निकाला?
      :(
      तो हम दिलजले नहीं हैं? बाबाजी, हम दिलजले, दिलभुने, दिलसिके, दिलफुके सब कुछ हैं|

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  25. लो बुरे ब्लागरो की लिस्ट बनाना शुरू भी ना हुई की वहा भी पहले अपना नाम होने की होड़ शुरू हो गई |

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  26. हाय !
    कोई होता जिसका हमको, इक मत मिल जाता यारो !
    अच्छा नहीं वो बुरा ही होता , होता लेकिन मेरा अपना ! :)

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  27. बात तो बिलकुल ठीक है, हम कहा जायेंगे???
    लेकिन यह भी तो है:
    "अपने मर्जी से कहा अपने सफ़र के हम हैं...."
    वक्त जहा ले जाएगा, वही जायेंगे. :)
    ख्याल बहुत ख़ूबसूरत है जी!!
    -लोरी.

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  28. पढ़ लिया था , सोचा कमेन्ट भी कर दिया , मगर नजर नहीं आया ...
    पूजा के बाद प्रसाद अगली लाईन के लोगो को मिलता है , पीछे वाले पुजारी द्वारा दूर से छिडके गये पवित्र जल के छींटों से ही पवित्र हो जाते हैं , यही सही :)

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  29. tum n likhoge to ham kidhar jayegen
    blog kho gaya to ham to mar jayenge.

    ha.ha.ha.

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  30. अच्छों की सूचि प्रकाशित हो गयी है,
    अब बुरे लोगों की सूचि जब प्रकाशित होगी तो कम से कम मेरा नाम तो जरूर डालियेगा! :)

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  31. टिप्पणियों को पढ़ने के बाद तो मज़ा और दुगुना हो गया :)

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