15.8.13

फील गुड

का 'इनरासन' भयल फील गुड ?

का पिसान, का चावल मालिक
दुन्नो नौ दू ग्यारह!
साठ रूपैय्या प्याज बिकत हौ
आलू साढ़े बारह!

इहाँ बैड-बैड हौ मालिक, नाहीँ कउनो गुड !
का 'इनरासन' भयल फील गुड ?

रोज-रोज कs रोना सुनिके 
कनवां पाक गइल !
कल पनरह अगस्त हौ जरको 
खुशिये ना भइल !

का फोकट में मिली मजूरी? तब तs वेरी गुड !
का 'इनरासन' भयल फील गुड ?

महिनन से मेहरारू बीमार हs
लइकी के पिलिया
लइका क फीस ना जुटल
कइली सब किरिया

दू जून क रोटी भारी, मिले न धेली-गुड़!
का 'इनरासन' भयल फील गुड?

का पनरह अगस्त के तोता
आजादी पा जाई ?
का चोट्टन के टिकस ना मिली
सब जेल चल जाई ?

ढेर दिल्लगी नाहीं होला, कब्बो वेरी गुड !
का 'इनरासन' भयल फील गुड?

8 comments:

  1. इनरासन से तात्पर्य इन्द्रासन है क्या?

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  2. सच में मन डुलडुल होवे।

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  3. बहुत बढ़िया कविता बन गई।
    ई फेसबुक्वा भी बड़े काम की चीज़ रहिन ! :)

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  4. इन चोट्टन के टिकस फिर मिली
    जेलव से जीत जइहन
    तोहरे-हमरे बदे नाहीं बा
    ओनहन के बा फील गुड

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  5. मस्त ... कमाल की रचना है ...
    स्वतंत्रता दिवस की बधाई और शुभकामनायें ...

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  6. ऊपर धेली गुड हो गया है,भेली-गुड न लिखना चाहते थे ?

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  7. फील ता भइल लेकिन गुड ना.

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