15.11.16

देव दीपावली

दिन भर 
लाइन में खड़े होने वाले 
रात भर 
दिवाली मनाते है!
हम बनारसी हैं
तम का मातम नहीं, 
अपने अंदाज से अँधेरा 
दूर भगाते हैं।

आज निकला था
थोड़ा बड़ा होकर
हुई थी आहट उसके आने की
दिखे थे
गंगा की लहरों में
चाँदनी के पद चिन्ह!
इतने दीप जले थे गंगा के घाटों पर
कि शरमा कर चला गया
पूनम का चाँद!

और तुम 
हमारे कष्ट का मातम मनाते हो?
अन्धेरा भगाने के लिये
हम मसान में
नृत्य करना जानते हैं।

3 comments:

  1. वाह क्या बात है बनारस की और बनारसियों की ।

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  2. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 17.11.2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2529 में दिया जाएगा
    धन्यवाद

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