8.11.10

प्रतीक्षा

जीवन के रास्ते में कई मुकाम हैं

जैसे

एक नदी है

नदी पर पुल है

पुल से पहले

सड़क की दोनों पटरियों पर

कूड़े के ढेर हैं

दुर्गंध है

पुल के उस पार

रेलवे क्रासिंग बंद है।


क्रासिंग के दोनों ओर भीड़ है

भी़ड़ के चेहरे हैं

चेहरे पर अलग-अलग भाव हैं

अपने-अपने घाव हैं

अपनी-अपनी मंजिल है

सब में एक समानता है

सबको मंजिल तक जाने की जल्दी है

लम्बी प्रतीक्षा-एक विवशता है।


ट्रेन की एक सीटी

सबके चेहरे खिल जाते हैं

ट्रेन की सीटी

आगे बढ़ने का एक अवसर है

अवसर

चींटी की चाल से चलती एक लम्बी मालगाड़ी है।



प्रतीक्षा में

एक हताशा है

निराशा है

गहरी बेचैनी है।

प्रतीक्षा

कोई करना नहीं चाहता

ट्रेन के गुजर जाने की भी नहीं

मंजिल है कि आसानी से नहीं मिलती।


जीवन एक रास्ता है जिसमें कई नदियाँ हैं

मगर अच्छी बात यह है

कि नाव है और नदियों पर पुल भी बने हैं।

रेलवे क्रासिंग बंद है

मगर अच्छी बात यह है कि

ट्रेन के गुजर जाने के बाद खुल जाती है।

( हिन्द युग्म में प्रकाशित )

36 comments:

  1. एक निर्लिप्त पर्यवेक्षण। शांत सा लेकिन गहरे भाव समेटे।
    ...कुछ ऐसे भी होते हैं जिन्हें पहुँचने की जल्दी नहीं होती बल्कि चाहते हैं कि कभी गंतव्य तक न पहुँचें...
    शीर्षक को 'प्रतीक्षा' कर दीजिए। :)
    पटिरयों - पटरियों

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  2. इस कविता कि अंतिम चार पंक्तियाँ जिन्हें हिन्द युग्म के पाठकों ने बहुत सराहा था, प्रयोग के तौर पर, जानबूझ कर हटा दिया हूँ। मुझे ऐसा लगता है कि बिना उनके भी बात पूरी हो जाती है।

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  3. जीवन एक रास्ता है जिसमें कई नदियाँ हैं
    मगर अच्छी बात यह है
    कि नाव है और नदियों पर पुल भी बने हैं।
    गंभीर जीवन दर्शन ...जीवन की वास्तविकता यही है ...
    पर हम दोनों पुलों को नजर अंदाज कर देते हैं ......
    विचारणीय पोस्ट

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  4. ट्रेन की सीटी

    आगे बढ़ने का एक अवसर है
    ...gahare jeevan-darshan.

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  5. रेलगाड़ी की setup में से ये तो जिंदगी का बढिया फलसफा कह गए आप.. बहुत अच्छे, लिखते रहिये ...

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  6. क्रासिंग के दोनों ओर भीड़ है
    भी़ड़ के चेहरे हैं
    चेहरे पर अलग-अलग भाव हैं
    अपने-अपने घाव हैं....
    खूबसूरत अभिव्यक्ति ...

    देवेन्द्र जी ..ये ही जीवन है ... चलते रहना ... प्रतीक्षा के लिए कोई स्थान नहीं है न गुंजाईश ... आभार ...

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  7. संत-शांत नदी जो बहती रही...केदाराघट वाली गँगा याद हो आयीं.
    आभार इसे लिखने का.

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  8. रेलवे क्रासिंग बंद है

    मगर अच्छी बात यह है कि

    ट्रेन के गुजर जाने के बाद खुल जाती है।
    Ye ek santvana hai! Behad gahan rachana hai!

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  9. जीवन का एक यह भी दार्शनिक अंदाज़ है सोचने का ...बहुत सूक्ष्म अवलोकन है ...अच्छी रचना ..

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  10. सार्थक चिन्तन। अच्छी लगी रचना। शुभकामनायें।

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  11. कमाल की प्रभावशाली रचना देवेन्द्र भाई !बधाई आपको !!

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  12. ट्रेन की बिम्ब में जीवन की रफ़्तार को ढाल दिया है आपने ... जीवन में भी इस रफ़्तार के उतार चाडाव आते रहते हैं ... बहुत अच्छी रचना है ....

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  13. हम भी कष्टों की ट्रेन निकल जाने की प्रतीक्षा करते हैं।

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  14. देवेन्द्र जी,
    जीवन की आपाधापी को केन्द्रित ये रचना बहुत अच्छी लगी.

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  15. ट्रेन की सिटी और ये कविता दोनों ही अच्छे है !!

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  16. बेहतरीन बिम्ब , सुघड कविता , और मेरे लिए देवेन्द्र जी कवि से अधिक दार्शनिक साबित हुए ! साधुवाद !

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  17. वाह क्या चित्र पेश कर दिया...रेलवे क्रासिंग के ज़रिये...हम तो उन्ही चेहरों को पढ़ने में ही मशगूल हो गए. सुंदर रचना.

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  18. बेहतरीन कविता.

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  19. अति सूक्षम प्रेक्षण ।

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  20. हाँ ! सबको मंजिल पर जाने की जल्दी है , लम्बी प्रतीक्षा विवशता ही है . सुन्दर रचना ........ बधाई स्वीकार करें ...

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  21. देवेन्‍द्र भाई, आपकी कलम से बिलकुल नए अंदाज की कविता देखकर अच्‍छा लगा। आपने जो विषय लिया उसका निर्वाह किया। बधाई। दो सुझाव हैं।

    अवसर
    चीटीं की चाल से चलती एक लम्‍बी मालगाड़ी है

    में- चलती- की जगह -चलता- होना चाहिए।

    रेलवे क्रासिंग बंद है
    मगर अच्छी बात यह है कि
    ट्रेन के गुजर जाने के बाद खुल जाती है।

    में -खुल जाती है- की जगह -खुल जाता है- होना चाहिए।

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  22. क्या अंदाज़ है... लाजवाब!!! एकदम नयापन लिए हुए. जीवन दर्शन को एक अलग ढंग से प्रस्तुत किया है. बधाई

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  23. देवेन्द्र जी आप अपनी रचनाओं में समकालीन आधुनिक बिम्बों को जिस तरह पिरोते हैं वह बेमिसाल है! ब्रैवो!
    आप कविता को एक समकालीन संस्कार दे देते हैं एक आधुनिक बोध ....और वह सहज ही समझ आती है !
    यह कविता भी जीवन के रास्तों ,रुकावटों की सहज प्रतीति करा जाती है !

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  24. देवेन्द्र जी,

    बस इतना ही कह सकता हूँ ...वाह...वाह और शब्द नहीं मिल रहे......कितने सरल शब्द .....कितना गहरा अर्थ.....वाह |

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  25. साहित्य ही एक ऐसा जरिया है जिससे हम समाज की बुराइयों को सामने ला सकतें हैं | और इसमें कवितात्मक अभिब्यक्ति ही ज्यादा प्रभावी होती है|
    सुन्दर रचना, बहुत - बहुत शुभकामना

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  26. जिन्दगी के आपाधापी का सजीव चित्रण ! बहुत सुंदर है ये कविता ! बधाई !

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  27. बहुत सुन्दर गहरे जीवन दर्शन ली हुई रचना !

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  28. उम्दा कविता के लिए हार्दिक बधाई.
    धन्यवाद.
    WWW.CHANDERKSONI.BLOGSPOT.COM

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  29. रंजीत जी,
    ...क्षमा करें, यह कविता मजेदार तो नहीं है।

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  30. रेलवे क्रासिंग बंद है
    मगर अच्छी बात यह है कि
    ट्रेन के गुजर जाने के बाद खुल जाती है।

    आज के जीवन की आपा धापी का बडा ही
    सजीव चित्र प्रस्तुत करती हुई कविता

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  31. रेलवे क्रासिंग बंद है
    मगर अच्छी बात यह है कि
    ट्रेन के गुजर जाने के बाद खुल जाती है।
    या फिर शायद अगली ट्रेन की प्रतीक्षा में बन्द भी रहती है बिलकुल मेरे गाँव (फुलवरिया-लहरतारा के नज़दीक) के पास की क्रासिंग.
    सुन्दर रचना ..

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  32. जीवन दर्शन का एक आयाम है इस कविता में

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  33. सब में एक समानता है

    सबको मंजिल तक जाने की जल्दी है

    लम्बी प्रतीक्षा-एक विवशता है।

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  34. जिन्दगी तभी सुरु होती है जब प्रतीक्ष्या किसी मंजिल की खत्म हो जाती है.यहीं,इसी पल में अस्तित्व के प्रति ह्रदय, धन्यवाद से पूरी तरह सरोबार हो जाए तो जिंदगी आनंद की वर्षा करने लगती है.

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  35. जीवन की बढ़िया परिभाषा...बड़ी ही सटीक और प्रभावशाली रचना..बधाई

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