पिछली पोस्ट उफ्फर पड़े ई दसमी दिवारी में आपने चकाचक को पढ़ा। 28 कमेंट के बाद यह महसूस करते हुए कि कुछ लोग काशिका में लिखी उस कविता को ठीक से समझ नहीं पा रहे उसका अर्थ भी लिख दिया है। आप चाहें तो उसे फिर से पढ़ सकते हैं। उसी क्रम में आज प्रस्तुत है चकाचक की लिखी दूसरी कविता....दिवारी। हास्य व्यंग्य विधा में लिखी यह कविता आज भी प्रासंगिक है।
ओही कS हौS त्योहार दिवारी।
भइल तिजोरी जेकर भारी।
सूद कS खाना हौS लाचारी।
गहना लादै जेकर नारी।
उल्लू जेकर करै सवारी।
ओही कS हौS त्योहार दिवारी।
जेल काट भये खद्दरधारी।
बनै वोट कै दिव्य भिखारी।
मंत्री बन के सुनै जे गारी।
करै टैक्स जनता पर जारी।
ओही कS हौS त्योहार दिवारी।
बाबू और अफसर सरकारी,
बिना घूस के ई अवतारी,
कइलन सम्मन कुड़की जारी,
लूटSलन जे बारी बारी,
ओही कS हौS त्योहार दिवारी।
गोल तोंद औ काया भारी,
फइलल जस नामी रोजगारी,
परमिट कोटा हौS सरकारी,
चमकल सच्चा चोरबजारी,
ओही कS हौS त्योहार दिवारी।
जे मंत्री हउवे व्यभिचारी,
जे नेता हउवे रोजगारी,
जे सन्यासी हौS संसारी,
हज्ज करै तस्कर व्यापारी,
ओही कS हौS त्योहार दिवारी।
इहां बिक गइल लोटा थारी,
भइल निजी घर भी सरकारी,
का खपड़ा पर दिया बारी,
जेकरे पास हौS महल अटारी,
ओही कS हौS त्योहार दिवारी।
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आओ चलो हम दिवाली मनायें।
एक दीपक तुम बनो
एक दीपक हम बने
अंधेरा धरा से मिलकर मिटायें।
माटी के तन में
सासों की बाती
नेह का साथ ही
अपनी हो थाती
दरिद्दर विचारो का पहले भगायें।
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आप भी चकाचक हैं, चकाचक जी को तो क्या कहें। दीपावली के शुभ अवसर पर आपको परिजनों और मित्रों सहित बहुत-बहुत बधाई। ईश्वर से प्रार्थना है कि वह आपका जीवन आनंदमय करे!
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साल की सबसे अंधेरी रात में*
दीप इक जलता हुआ बस हाथ में
लेकर चलें करने धरा ज्योतिर्मयी
बन्द कर खाते बुरी बातों के हम
भूल कर के घाव उन घातों के हम
समझें सभी तकरार को बीती हुई
कड़वाहटों को छोड़ कर पीछे कहीं
अपना-पराया भूल कर झगडे सभी
प्रेम की गढ लें इमारत इक नई
ई पुरबिया कबिता बहुत भाई , भाई ।
ReplyDeleteआपको सपरिवार दीवाली की हार्दिक शुभकामनायें ।
चौचक दीवारी भई ई तो पांडे जी!! आपको भी हमरी तरफ से बहुत सारी शुभाकाक्षायें!!
ReplyDeleteवाह, हमारी शुभकामनायें।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर...
ReplyDeleteदीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
सुन्दर प्रस्तुति...दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं
ReplyDeleteदीपोत्सव पर हार्दिक शुभकामनाएं !
ReplyDelete"आइये प्रदुषण मुक्त दिवाली मनाएं, पटाखे ना चलायें"
दीपावली का आया है त्यौहार शब-ओ-रोज़
प्रकाश पर्व दीपावली की बहुत-बहुत शुभकामनायें...
ReplyDeleteदीप पर्व की आपको और आपके परिवार को शुभकामनाएं...
ReplyDeleteदरिद्र विचारों को पहले भगाए ..
ReplyDelete.. आपको दीपपर्व की शुभकामनाएं !!
एक और सुन्दर और बेहतरीन हास्य व्यंग्य कविता पढ़वाने के लिए आपका आभार|
ReplyDeleteबहुत सुन्दर विचार ! हमे खुद को ही दीपक बनाना होगा.
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