12.5.12

गंगा चित्र-5


गंगा में पानी है कम
बीच धार में सभी तैर नहीं रहे, कुछ आराम से खड़े भी हो जा रहे हैं।


परिंदों को दाना खिलाना भी क्या कमाल का शौक है!


सुबह-ए-बनारस देखने उड़ कर आये ये विदेशी मेहमान 


क्या मस्ती है!


कितनी नावों में कितने जोड़े!


मैं एक ही स्थान पर बैठा हूँ..नावें बदल रही हैं।


इसके पास मेरे से बढ़िया कैमरा है! 


सभी तश्वीरें आज सुबह की हैं।

नोटः कमेंट न करना चाहें तो भी कोई बात नहीं, आपने देख लिया मेरा शौक पूरा हो गया, धन्यवाद। :-)

19 comments:

  1. waah ! ek jagah baith kar banaras ke rang ghuma diye . dhanyawaad !

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  2. तो आप भी सुबह सुबह चक्षु पान कर रहे थे ! :)
    हमें भी बड़ा मज़ा आया गंगा दर्शन करके .

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  3. बहुत खूब ...
    कैमरे के भी महारथी हैं आप

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  4. sarthak ganga darshan aur soch ka samaan bhi ....

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  5. सुबह बनारस.


    शांत-सुंदर.

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  6. देख भी लिया और इन लाजवाब चित्रों कों मन में भी बैठा लिया ...
    बनारस की एक भोर ...

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  7. मुझे संगम की याद हो आयी. अक्सर शाम को वहाँ जाकर बैठते थे और गंगा-यमुना का मिलन देखते रहते थे, जब तक कि सूरज पूरा डूबकर सुरमई चादर नहीं ओढ़ लेता था...:)

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  8. सुन्दर दृश्य ।।

    सादर नमन ।

    जय माँ ।।

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  9. लाजबाब चित्र हैं ! पर आपने सब के सब यूज कर लिए हैं ! आपसे कोई एक मांग भी नहीं सकते ! मांग भी लें तो लगेगा कि इसे तो पाण्डेय जी यूज कर चुके हैं :)

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  10. आप मुझे तैरने के लिए उकसा रहे है :)

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  11. कम पानी में मजे बहुत हैं, आनन्द छिपा है गंगा में।

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  12. बड़े ख़ूबसूरत चित्र हैं...एक अकेली कश्ती का चित्र होता तो शायद आपकी इजाज़त से... अपनी कहानी के लिए यहीं से ले लेती गूगल में भटकना नहीं पड़ता :)

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  13. क्या बात है आपने एक ही जगह बैठकर इतना आनद ले लिया..वो भी विदेशियों से कमतर कैमरे से.:):)
    बढ़िया चित्र हैं.

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  14. waaaah janab!!!!
    gang 0 jamuni Tehzib e hind zindaa krne k liye shukriya!!!

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  15. बीच धार में पानी इतना कम कैसे हो सकता है कि आदमी खडा हो सके ? फोटो अछ्छे आये हैं.

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  16. बेहद खूबसूरत तस्वीरें हैं....आपने बहुत पहले की बनारस की एक सुबह याद दिला दी!!

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