28.8.12

मछली

सुना था
एक मछली 
करती है
पूरे तालाब को गंदा
देखा
एक मछली
साफ कर रही थी
पूरे तालाब की 
गंदगी




और भी होंगी 
मछलियाँ
और भी होंगे
तालाब
प्रदूषित नहीं होगा अगर
तालाब का पानी
नहीं मरेंगी मछलियाँ
इनके जीते जी
बनी रहेगी
तालाब की
खूबसूरती
मर गईं
तो नहीं बैठ पाओगे तुम
तालाब के किनारे
सुकून-औ-चैन से।
..................... 
.


26 comments:

  1. जल की रानी... बहुत सुन्दर

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  2. India darpan pr aapko aur aapki tippni ko dekha. Virendra ji ne apki prashnatmak tippni ka answer bhi diya hai.
    very good thoughts.....
    मेरे ब्लॉग

    जीवन विचार
    पर आपका हार्दिक स्वागत है।

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  3. क्या बात है साहब ,जलाशय को बींध पकड़ लायी मीन ,लक्ष्य भेदी कैमरे की आँख ...बहुत सुन्दर .कृपया यहाँ भी पधारें -
    ram ram bhai
    मंगलवार, 28 अगस्त 2012
    आओ पहले बहस करो
    http://veerubhai1947.blogspot.com//
    Hip ,Sacroiliac Leg Problems
    Hip ,Sacroiliac Leg Problems/http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/2012/08/hip-sacroiliac-leg-problems_28.html/
    आजमाए हुए रसोई घर के नुसखे

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  4. कहाँ से ढूँढकर लाये आप. हेडर वाला चित्र तो लाजवाब है. ऐसे दृश्य देखने को आँखें तरस गयी हैं.

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    1. ढूँढकर नहीं, खींचकर लाये हैं।:)

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    2. मेरा मतलब था दृश्य कहाँ ढूँढे :)मालूम है कि छायाचित्र तो आपने ही खींचे हैं.

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  5. पानी में मछली, सब ठीक है तब तो..खबर तो तब बनती जब यह पानी के बाहर होती..

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    1. लीजिए बाहर भी निकाल दिया। आपने उचकाया तो कुछ लिख भी दिया।:)

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  6. ग्रास कार्प है यह तालाब को साफ़ करती है.....

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    1. जानकारी देने के लिए धन्यवाद।

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  7. सुंदर चित्र और सटीक बात

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  8. सच लिखा है ... मछलियां हैं तो तालाब ताज़ा हैं .... चित्र और कलाम दोनों लाजवाब ...

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  9. बोल मेरी मछली कितना पानी


    पानी के अंदर चित्र खेंचना : ये भी एक कला है.

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  10. हैडर वाली फोटो देख कर मेरी बिटिया ने पूछा की क्या ये हरे हरे कमल का सोफा है बैठने के लिए :))
    मछली तालाब को गन्दा करती है की नहीं पता नहीं लेकिन मनुष्य उससे कही ज्यादा गन्दा करता है |

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  11. पटना में गंगा जी से 'सोंस' नामक जलचर के विलुप्त होने के बाद गंगा का प्रदूषण बहुत बढ़ा.. आपकी सूक्ष्म दृष्टि मुहावरों को भी वास्तविकता के धरातल पर परखती है और चुनौती देती है कि समय के साथ नए मुहावरों को गढने की आवश्यकता है!! बहुत बढ़िया कविता!!

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    1. बनारस में भी यही हुआ। सोंस नामक जलचर के विलुप्त होने के बाद गंगा का प्रदूषण बहुत बढ़ा।

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  12. sundar chitra ...prabhavi kathan ..
    sarthak rachna .....

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  13. आहा! अति सुन्दर..

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  14. आहा.....बहुत बढ़िया फोटू चिपकाएँ हैं देव बाबू ।

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  15. सच लिखा है मछलियाँ है तो तालाब हैं दिगंबर जी की बात से सहमत हूँ।

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  16. मछलियाँ होतीं हैं एक जीवित पारितंत्र का पैमाना ,जितनी जीवन्तता उतनी ही मछलियाँ ,पर्यावरण सचेत रचना एक और आयाम सकारात्मक सोच का एक मछली तालाब को साफ़ कर देती है बढ़िया रचना .... .यहाँ भी पधारें -
    ram ram bhai
    बृहस्पतिवार, 30 अगस्त 2012
    लम्पटता के मानी क्या हैं ?

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  17. ए हो देबेन्दर बाबू! बहुत बढ़ियां फुटुवा खींचे हौआ। उत्कृष्ट .....
    कैप्शन भी रिलिवेंट ....सन्देशपरक। समाज में भी कुछ अच्छी मछलियाँ हैं ...कुछ मरी और सड़ी हुई....किंतु अब संतुलन बिगड़ता जा रहा है।
    लगता है ..अब कैमरा की आँख और जुबान दोनो से आपको गहरी मोहब्बत हो गई है...मगर पाण्डेय जी! इतना अच्छा फुटुवा मत खीचा करिये ...फ़ालतू में मेरे ईमान को बेइमान बनाते हैं आप!

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