(साक्षी विनायक)
हे गणेश!
वक्रतुंड
महाकाय!
आप खूब
खाते हो
आपका
खाया-पीया
दिखा
देता है आपका पेट
लेकिन
हमारे आज
के भगवान जो खाते हैं
उसकी
तुलना में
यह तो
कुछ भी नहीं है!
आज के
भगवान के खाने का
नहीं है कोई
फिक्स रेट
नहीं है कोई
फिक्स रेट
आपसे डबल
डबल क्या, बबल डबल खाते हैं
और खा कर
डकार भी नहीं लेते
जाने किस पेट में
डकार भी नहीं लेते
जाने किस पेट में
छुपा जाते हैं!
हे गणेश!
ये बड़े चमत्कारी
खा कर भी बने रहते हैं
पहले की तरह भिखारी
पहले की तरह भिखारी
इन्होने
क्या खाया?
जानने के
लिए
जाना
पड़ता है
विदेश!
गज़ब है
उनका
छद्मवेश!
हे गणेश!
क्षमा
करना
आप से इनकी तुलना ठीक नहीं
मगर दिल में जो दर्द है
बिना बताये
चुप रह जाना भी ठीक नहीं।
जानता हूँ
मगर दिल में जो दर्द है
बिना बताये
चुप रह जाना भी ठीक नहीं।
जानता हूँ
जब-जब
टूटता है
रावण का
अहंकार
बार-बार चाहता
है
आपका ही
आशीर्वाद
आपका ही
प्यार
मगर मामूली नहीं हैं
आज के भगवान!
पहले जबरदस्ती
मगर मामूली नहीं हैं
आज के भगवान!
पहले जबरदस्ती
बन जाते थे
नरेश!
नरेश!
अब तो
बन जाना चाहते हैं
बन जाना चाहते हैं
परम पिता
साक्षात
महेश!
हे गणेश!
क्या
विडंबना है !
आपने
चूहे को अपना वाहन बनाया
इन्होने आपका
अनुसरण कर
पूरी जनता
को ही
चूहा बना
दिया !
आप चूहे
बिना नहीं चल सकते
ये जनता
बिना रह नहीं सकते
जैसे आपके इर्द-गिर्द रहने वाले चूहे
आपका प्रसाद पा
खूब मोटे हो जाते हैं
वैसे ही
इनके निकट रहने वाले चूहे
इनका चूरन पा
अहंकार से
पागल हो जाते हैं
गज़ब है इनके चूरन की ताकत
खाते ही
आपको भजना छोड़
उन्हीं की शरण में चले जाते हैं।
आपका प्रसाद पा
खूब मोटे हो जाते हैं
वैसे ही
इनके निकट रहने वाले चूहे
इनका चूरन पा
अहंकार से
पागल हो जाते हैं
गज़ब है इनके चूरन की ताकत
खाते ही
आपको भजना छोड़
उन्हीं की शरण में चले जाते हैं।
कलियुगी
भगवान को
उनके भक्त
आपसे भी
ऊँचे आसन पर
ठाठ से
बिठाते हैं।
हे गणेश!
आपको चाहते हैं
दीन, दुखी, लाचार
थोड़े से कवि, कलाकार
या फिर
बालगंगाधर तिलक की तरह
जिन्हे है
इस देश से प्यार
इस देश से प्यार
मगर इनको चाहता है
पूरा कालाबाजर!
पूरा कालाबाजर!
हे गणेश!
जब कभी
ये आपको आगे कर
सजाते हैं
आपके पंडाल
तो दुष्टों की तबियत
खिल जाती है
मगर अपनी आत्मा
पूरी तरह से
हिल जाती है
इनका पिछलग्गू, चूहा बनकर
जीने से अच्छा है
जब कभी
ये आपको आगे कर
सजाते हैं
आपके पंडाल
तो दुष्टों की तबियत
खिल जाती है
मगर अपनी आत्मा
पूरी तरह से
हिल जाती है
इनका पिछलग्गू, चूहा बनकर
जीने से अच्छा है
आपके साथ
गंगा में
डूब जाना
आए हो
तो ले चलो न इस बार
तो ले चलो न इस बार
अपने देश!
हे गणेश !
………………………
सही कहा! बिलकुल सही.
ReplyDeleteइनका पिछलग्गू चूहा बनने से अच्छा है, आपके साथ ,गंगा में डूब जाना ,
ReplyDeleteआये हो तो -
ले चलो न इस बार ,अपने देश !हे !गणेश .हे गणेश !
सार्थक रूपक व्यंग्य व्यंजना .हिन्दुस्तान की आज हालत यही है किसी पांडाल से ,किसी इमारत से कहीं कोई ईंट दरक जाए वहां से दो भगवान् निकल आतें हैं .कभी कभार तो दीवार पे ही प्रगट हो जातें हैं ,बे -हिसाब पूजे जातें हैं ,दबा के दूध मलाई खाते हैं ,रफ्फु चक्कर हो जातें हैं .
कानों में होने वाले रोग संक्रमण का समाधान भी है काइरोप्रेक्टिक में
कानों में होने वाले रोग संक्रमण का समाधान भी है काइरोप्रेक्टिक में http://kabirakhadabazarmein.blogspot.com/
बहुत सुन्दर व्यंग्य कविता |
ReplyDelete.
ReplyDelete`*•.¸¸.•*´¨`*•.¸¸.•*´
ॐ गं गं गं गणपतये नमः !
गणेश चतुर्थी मंगलमय हो !
`*•.¸¸.•*´¨`*•.¸¸.•*´
चित्र और भाव दोनों प्रशंसनीय हैं.....गणेश जी को नमन ।
ReplyDeleteजय गणेश देवा...
ReplyDeleteगणेश चतुर्थी की हार्दिक बधाई ...!!
ReplyDeleteaapne din subh kar diya ...darshan karane ke lie bahut bahut dhanyavaad.
ReplyDeleteaapne din subh kar diya ...darshan karane ke lie bahut bahut dhanyavaad.
ReplyDeleteतस्वीर और प्रस्तुति दोनो उत्कृष्ट
ReplyDeleteआभार
हे गणेश.
ReplyDeleteवाह ... मज़ा आ गया देवेन्द्र जी ... जवाब नही व्यंग का ...
ReplyDeleteजय गणपति बप्पा की ...
बहुत सही ।
ReplyDeleteहे गणेश !!! विघ्न हर्ता हो ..कुछ तो करो..इन कलयुगी भगवानो से बचाओ.
ReplyDeletebahut sundar chitra aur hriday ke udgar bhi....
ReplyDeleteक्या बात है!!
ReplyDeleteगणेश जी , सब कष्ट दूर करें .
ReplyDeleteशुभकामनायें .
गणपती बप्पा मोरया...
ReplyDeleteव्यंग फिर कभी आज तो गणेश चतुर्थी की शुभकामनाएं!
ReplyDeleteशायद गणेश सम भाव से देखते हैं हमें और इन महानुभावों को! या इनपर अधिक कृपा है।
ReplyDelete"लेकिन आज जो "हमारे भगवान" खाते हैं उसकी तुलना मे ये कुछ भी नहीं " :) सही कहा आपने , और क्या कुछ नहीं खा लेते आज के भगवान , चारा,रेता,कोयला :) सब चढ्ता है इनको ।
ReplyDelete:))
Deleteउन गणेश जी का एक वाहन था, इनके अनंत हैं|
ReplyDeleteबहुत प्रभावशाली रचना
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeletebahut sundar prarhar !
ReplyDeleteaabhaar !
बहुत सुन्दर अभिब्यक्ति.
ReplyDeleteगणपति अपने साथ ले जायें उनको जो खतरा हैं देश के लिए, समाज के लिए 🙏
ReplyDeleteअच्छा कटाक्ष
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