मैसेज का क्या है, कभी भी आ सकता है! कल रात जब मैं बेडरूम में सोने से पहले मूड बना रहा
था तभी मैसेज आ गया। अनमने भाव से पढ़ा तो चौंक गया। लिखा था, “जल्दबाजी में अपने जीवन को खतरे
में न डालें, रेल फाटक ध्यान से पार करें!“ अब इस मैसेज का
क्या मतलब है भला! मैं कौन सा रेल फाटक पार करने जा रहा हूँ ?
जब कर रहा था तब तो नहीं आया! अब आया जब
दुर्घटना घट चुकी!! गलत संदेश तो आते ही हैं, सही संदेश भी हमेशा गलत समय पर आते हैं।J अच्छा भला मूड चौपट हो गया।
मैसेज को
कोसते हुए फिर सोने की तैयारी करने लगा तभी दूसरा मैसेज आ गया-YOUR MOBILE NUMBER HAS WON 8,50,000/-पौण्ड (पौण्ड का निशान बनाने नहीं आ रहा है।) G.B.P.
AND ONE BMWX6 AWARD 2012 HELD IN U.K. TO CLAIM YOUR PRIZE SEND YOUR
NAME,AGE,ADDRESS AND MOBILE NUMBER ! अब यह मैसेज पढ़कर नींद फिर
उड़ गई! हाँ, हाँ, जानता हूँ कि यह सब
बकवास होता है। मूर्ख बनाने का धंधा है। इसी बात पर तो नींद उड़ गई। सोचने लगा, ये आखिर मुझे मूर्ख बना क्यों रहे हैं ? क्या
दुनियाँ में वाकई इतने मूर्ख होते हैं कि इनकी बातों में फंस कर मूर्ख बन जाते
हैं? कहावत याद आई, “मूर्ख का क्या है, एक ढूँढो हजार मिलते हैं!” हो सकता है मैं ही मूर्ख हूँ जो इनकी बातों को धोखा देने वाला समझकर अच्छी भली
पुरस्कार की राशि को मिस कर रहा हूँ! लेकिन यह बिलावज़ह मुझ पर
इतना मेहरबान क्यों होने लगा? यह पक्का मूर्ख ही बना रहा है।
लेकिन यह मूर्ख बना क्यों रहा है ? यह खुलेआम मूर्ख बना रहा
है ! क्या इन पर कोई कार्यवाही नहीं हो सकती? मूर्ख बनाना नहीं यह तो जालसाजी है! इस खुलेआम
जालसाजी का कोई इलाज नहीं? जब यह सोचा तो और भी मैसेज पर
ध्यान जाने लगा।
अभी कल ही की बात है। एक मैसेज आया था..”बिपासा बसु का पैकज लेने
के लिए धन्यवाद। आपके मोबाइल से 1/- रूपये प्रतिदिन की दर से 30/- रूपये काट लिया जा रहा है। ‘अन सब’ करने के लिए UNSUB BIPS टाइप करें और मैसेज भेजें!” लो जी ! कल्लो बात !! यह तो
ये बात हुई कि पहले डकैती डाली फिर कह रहे हैं, “चाहते हो कि भविष्य में डकैती न पड़े तो लिख कर बता दो, भविष्य में डकैती मत डालना !” मैं भागा-भागा अपने परिचित दुकानदार के पास गया तो उसने हँसते हुए कहा, “आप ने जरूर गलती से कुछ दबा दिया होगा, तभी ऐसा हो
गया !” मैने कहा, “चुप रहो! मुझे गलती से कुछ भी दबाने की आदत नहीं है। अब बताओ क्या करें?” उसने हेल्पलाइन का नम्बर दिया, मैने बात की तो यह
सुनिश्चित हुआ कि भविष्य मैं डकैती नहीं पड़ेगी। लेकिन जो पैसा कट गया वह वापस
मिलने से रहा। L पैसा कटा सो कटा, मेरा कीमती समय जाया
हुआ, दुकानदार की बकवास सुनते हुए उसका एहसान मंद होकर उसे धन्यवाद कहना पड़ा, इन सब
का क्या?
वैसे तो मैसेज पर ध्यान देना ही छोड़ दिया है लेकिन एक नज़र दौड़ाने
की आदत गई नहीं। कभी-कभी काम के मैसेज भी आते हैं। सबसे अच्छा तो बैंक से आया यह
मैसेज लगता है, “आपके खाते में इतना रूपया क्रेडिट हो गया है।“J कभी किसी चोर ने या पत्नी ने बिना बताये खाते से पैसा डेबिट कर लिया तो भी तुरंत मालूम
हो जायेगा।J बहुत से मित्र हैं जिन्हें मैसेज भेजने
की बीमारी है। ब्लॉगिंग, फेसबुक या ट्यूटर जैसी बड़ी बिमारियों से अभी कोसों दूर
हैं। दुनियाँ भर के त्योहारों, महिला, पुरूष, महापुरूष के खास दिनो की बधाई के लिए
ढाँसू-ढाँसू साहित्यिक संदेश ढूँढ लाते हैं। मुझे तो और भी ढूँढ कर साहित्यिक
संदेश भेजते हैं और अपेक्षा करते हैं जब मैने पनवारी, पास चारी, दुरा चारी, करम चारी,
अधिक आरी, सूखा मेवा, भुना बैगन आदि आदि होकर भी इतनी बड़ी बात लिख डाली तो तुम तो
कवि हो! साहित्य की पूँछ हो! तुम तो जरूर इससे बढ़िया बधाई संदेश भेजोगे! लोग
इतने मासूम होते हैं कि दुष्यंत कुमार के फड़कते शेर के बदले उससे भी धड़कते शेर
लिखने की मुझ नाचीज से अपेक्षा करते हैं! अब उन्हें कौन
समझाये कि बलागिया कवि हूँ। जिसे प्रिंट मीडिया का कवि या बड़ा माना जाने वाला
साहित्य आचार्य हिकारत की नज़रों से देखता है।J इन सब मित्र संदेशों के चक्कर में
शत्रु संदेशों को भी स्वीकार करना पड़ता है! कभी खीझ कर
पूरा मैसेज एकसाथ डिलीट कर देता हूँ! दूसरे दिन मित्र का फोन
आ जाता है, “का यार! बड़े कवि बनते हो!! इत्ता बढ़िया शेर लिखकर भेजा लेकिन कोई जवाब ही नहीं दिया! जवाब नहीं सूझा तो वाह! वाह!
तो लिख ही सकते थे! अब कैसे कहूँ कि मैने तुम्हारा मैसेज
पढ़े बिना ही डिलीट कर दिया था। वरना ब्लॉगिंग करते-करते वाह! वाह! करने का प्रशंसक बटोरू गुण तो मुझ में भी आ ही
गया है।J बड़ी समस्या है! मिटाओ तो बुरा, न मिटाओ
तो झेलों शत्रुओं की कपटी चालें। परसों अपने संजय भाष्कर जी का यह मैसेज आया
था....
सुबह-सुबह सूरज का साथ हो,
परिंदों की आवाज हो,
हाथ में चाय और
यादों में कोई अपना साथ हो,
उस खुशनुमा सुबह की क्या बात हो!
अब बताइये, इतना बढ़िया मैसेज भी आता है तो कैसे मैसेज न पढ़ें? लेकिन इस मैसेज में भी
कुछ झोल लगता है। सुबह तो प्रभु की कृपा से मेरी रोज ही खुशनुमा होती है। सूरज का
साथ होता है, परिंदों की आवाज होती है और हाथ में (घूमने के बाद) कुल्हड़ (मिट्टी
के पुरूवे) में गरम चाय भी रहती है। घूमते समय हाथ में कैमरा भी रहता है। कोई एक
नहीं अनेक अपनों का साथ होता है लेकिन यादों में कोई नहीं रहता। इतना सब होने के
बाद भी अगर आदमी वर्तमान में न जी सके और यादों में डूबा रहे, जो नहीं है उसी को
याद करता रहे, जो है उसे न देखे तो फिर सूरज, परिंदों और चाय
का मजा वह क्या खाक ले पायेगा ? कितने लोग सुबह घूमते समय
मोबाइल में गाना या भजन सुनते दिख जाते हैं! मुझे उन पर भी
बड़ी दया आती है। प्रकृति के साथ चलकर भी जो प्रकृति से न जुड़ पायें ऐसे अभागियों
को भगवान कोई संदेश क्यों नहीं भेजता ? जीवन का आनंद तो
वर्तमान को महसूस करने में है।
क्या कोई चलनी है जिसमें मैं अनचाहे संदेशों को चाल कर उड़ा सकूँ और
पसंदीदा संदेशों को सहेज सकूँ? चावल के ढेर से कंकड़ के दानो की तरह एक-एक कर डिलीट करना तो बड़ा बोरियत
भरा काम है। कोई ऐसी चलनी बताइये जिसमें झट से ‘सार सार को गही रहे, थोथा देई उड़ाय” वाली बात हो। ईश्वर मुझे और आपको भी बुरे संदेशों से बचाये। नमस्कार।
...............................
जिसकी कालर व्हाइट व्हाइट, चीं चीं चीं चीं कालर ट्यून ।
ReplyDeleteजिसको संदेसा देता हो, उगता सूरज, डूबा मून ।
कदम कदम जो चले संभल कर, नेचर से है नेचर प्रेमी
भेज रहे क्यूँ एस एम् एस हो, गुड नाइट को करते रयून ।।
कितना मधुर शब्द हुआ करता था -संदेश .
ReplyDeleteउसका मैसेज बना कर सब चौपट कर डाला !
पाण्डेय साहब, मूड को प्राथमिकता दीजिये , मैसेज गए भाड़ में ! :) :)
ReplyDeleteये बिकिनी बेब्स ने मुझे इतना बेबस कर दिया कि एक मोबाईल पर रिचार्ज कराना ही छोड़ दिया -वो बार बार कहती है रिचार्ज करो रिचार्ज करो और मैं कहता हूँ भाड़ में जाओ अब मैं चुक गया हूँ :-)
ReplyDeleteमेसेज पर आपकी यह पोस्ट याद रहेगी -एक देव /देवी पिछले एक साल से मुझे मेसेज भेज रहे हैं अनन्य प्रेम का और यह अन्याय मैं सहता जा रहा हूँ ..उनका नाम नहीं है मोबाईल पर ,क्या किया जाय ?
इसका तो ध्यान ही नहीं आया वरना इस रीचार्ज करो, रिचार्ज करो.. वाला आइडिया तो मस्त था।:)
Deleteआपकी यह टीप सुबह थी। शाम को देखा तो अपने आप स्पैम में चली गई थी! दूसरी वाली ने पहली वाली को धकेल दिया होगा।:)
टेम्पलेट तो एक और शादी का परपोजल लग रहा है :-)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर, बधाई.
Deleteमेरे ब्लॉग"meri kavitayen" पर आप सादर आमंत्रित हैं.
...मुझे तो मैसेज आते ही नहीं,उन्होंने पहले ही समझ रखा है कि मैं मूर्ख हूँ :-)
ReplyDeleteभई अब ओखली में सर दिया है तो मूसल तो खाने पढेंगे :-)
ReplyDeleteअज़ी सन्देश क्या , हम तो पूरे मोबाइल से परेशान हैं . ऐसे ऐसे अवसर पर बजता है की बजा देता है . :)
ReplyDeleteभारत में बहुत मेसेज आते हैं और पैसा भी कट जाता है.नेपाल में ये रोग बहुत कम है और पैसा अपने-आप कभी नहीं कटा.
ReplyDeletemessage ke bad bhee mood banaye rakhe. meassage to hamesha aate rahaten hai lekin mood kabhi kabhi banata hai.
ReplyDeleteधन्यवाद सर।
ReplyDelete
ReplyDeleteइश्वर से प्रार्थना है कि आपको अच्छे सन्देश मिलते रहे !
my new post KYUN????
http://udaari.blogspot.in
देवेन्द्र भाई,
ReplyDeleteइसी विषय पर मैं दो अलग-अलग पोस्ट लिख चुका हूँ.. लिंक परोसने की आदत नहीं पर आपके साथ अग्रज होने के नाते इतनी स्वतन्त्रता ले रहा हूँ.. एक पोस्ट पर आपका कमेन्ट नहीं था और दूसरे पर था "रोचक प्रस्तुति".
मैं इन दिनों इस इल्लत से आज़ाद हूँ.. जिस दिन पोस्ट-पेड कनेक्शन लिया उसी दिन DND की सेवा चालू.. न ईना, मीना, डीका के फोन आते हैं, न ज़मीं, मकान और ज्योतिषियों के मेसेज.. संजय जी तो मुझे मामा कहते हैं.. उनके शुभ-सन्देश मिलते रहते थे दिल्ली में.. और एक हमारे सहयोगी हैं उनके प्रातःकालीन प्रेरक व् ज्ञान-चक्षु खोलक मेसेज देखकर मैंने उन्हें ब्लॉक कर दिया.. अब चैन हूँ..
ज़बरदस्ती नहीं, मौक़ा लगे तो देख लीजियेगा ये पोस्ट भी..
http://www.chalaabihari.blogspot.in/2011/01/blog-post_04.html
http://www.chalaabihari.blogspot.in/2011/04/blog-post_21.html
दोनो पोस्ट पढ़ा। याददाश्त कुछ कमजोर हो गई है वरना वरना इसको लिखते समय उनको जरूर पढ़ते और तब यह पोस्ट जानदार हो जाती।
Deleteपोस्ट पेड कनेक्शन वाला आइडिया बढ़िया लग रहा है। पता लगाते हैं सस्ता पड़ेगा या महंगा। अगर उसमें फालतू मैसेज नहीं आते तो बहुत बढ़िया बात है। हम वाकई ई मैसेज से बोर हो चुके हैं।
हमरी टिप्पणी को स्पैमासुर से बचाइए प्रभु!!!!
ReplyDeleteशुकर है.. हमारे यहाँ तो मोबाइल पर ऐसे मेसेज नहीं आते..
ReplyDeleteमेरे फोन पर पहले बहुत से विज्ञापनी मेसेज आते थे. बीच में जब बल्क मेसेजिंग पर रोक लग गयी थी, तब से आने बंद हो गए थे. अभी पिछले पन्द्रह दिनों से फिर से आने शुरू हो गए हैं :(
ReplyDeleteमेरे दोस्त मुझे कोई मेसेज नहीं भेजते क्योंकि सबसे नेट पर ही मुलाक़ात हो जाती है. हाँ, कभी-कभार या तीज-त्यौहार पर एकाध सहेलियाँ भले ही बधाई सन्देश भेज दें. बाकी मेरा फोन नम्बर बहुत कम लोगों के पास है, इसलिए राहत रहती है.
दास्ताने सन्देस-पीड़ित! अब समझ में आया कि हमारे किसी भी नमस्कार सन्देश का जवाब काहे नहीं आता है ...
ReplyDeleteहम तो मैसेज देने और पाने की पीड़ा से आज़ाद हैं . लोंग बाग़ अपने मोबाइल नंबर सत्यनारायण के प्रसाद की तरह नहीं बांटे और फिर उनकी शियाकत भी करे ..हुंह :):)
ReplyDeleteई जितने मैसेज आते हैं आलतू-फालतू उनमें से किसी को मैने अपना नम्बर थोड़े न दिया है!
Delete*शिकायत
ReplyDeleteआपका पहला कमेंट स्पैम में था। यही 'शिकायत' दिखाई दे रहा था। अब मैने तीन बार अपना आलेख पढ़ा कि मैने कहाँ शिकायत गलत लिख दिया! सही कर दूँ लेकिन कहीं नहीं मिला। फिर आपको मेल करने जा ही रहा था कि स्पैम का ध्यान आया। हास्य कहाँ-कहाँ छुप कर बैठा होता है!:)
Deleteस्पैम की सुविधा ने हालात को और अधिक असुविधाजनक बना दिया है. मेरी तो आधी से ज्यादा टिप्पणियाँ स्पैम में जाती है. वो तो कहो ई-मेल के इन्बोक्स में पहुंच जाती हैं. इसलिए पता चल जाता है.
Deleteसबसे अच्छा है
ReplyDeleteखुद ही मूर्ख बन जाओ
हमारी तरह मोबाईल
खरीदने का प्लान
2050 में बनाओ !:)))
ये मेसेज का खेल भी मजेदार है.
ReplyDeleteमेसेज की महिमा ही यही है कि आपके अनचाहे भी अपनी मनचाही गति से आते रहते हैं ......
ReplyDeleteसही है - मेरे बनारस वाले रोमिंग नंबर पर कल आया मैसेज, करीना-बिपाशा वाला। अब कर लो रोमिंग में कस्टमर केयर से बात!! :)
ReplyDeleteऔर ये तस्वीर तो बहुत बढ़िया है :)
संदेशे आते हैं, हमें तड़पाते हैं।
ReplyDeleteपहले मुझे नहीं आते थे कोई मैसेज किन्तु ६ महीने से मुझे करोडपति बनाने पर तुले है मै भी थोड़े देर के लिए पढ़ खुश हो जाती हूं और पति देव को भी बधाई दे देती हूं की लो जी अब तो मै पत्नी से पति बनने वाली हूं !
ReplyDelete:)
Deleteदुकनदार जी क्या पता सही कह रहे हों - गलती से ही कुछ दबा दिया हो। ... अब हमारे पास तो कोई हीरोइन न आयी तीस रुपया लूटने - शायद उम्र का ख्याल किया हो!
ReplyDeleteखतरनाक भ्रम पाले हैं। आफत किसी उम्र में आ सकती है।:)
Deleteतीस रुपये का चूना लगने के लिये हार्दिक संवेदनायें।
ReplyDeleteआगे के पैसे बचने के लिये बधाईयां। मंगलकामनायें।
ये तो बताइये की बिपासा पॅकेज में था क्या. पैसे तो गए लेकिन ३० दिन तक उस पॅकेज में क्या क्या मिला? :P
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