कभी मंदिर-मस्जिद
कभी आरक्षण
पर
चोंच
लड़ाते रहिए
वे चैन
से
करते
रहेंगे गोलमाल
छेड़छाड़,
बलात्कार, भ्रूण हत्या के बाद
ताजा
समाचार यह
कि वे
लूट लेते
हैं
गर्भाशय
भी !
गरीबों
के लिए आई योजना
तीस हजार
तक के ऑपरेशन का खर्च उठायेगी बीमा कम्पनियाँ
खबर है
लोभियों
ने उठाया योजना का भरपूर लाभ
निकाल दिये
हजारों
महिलाओं के
गर्भाशय !
हैरानी यह
नहीं है कि वे लोभी हैं
दुःख है
तो यह
कि वे
नहीं जानते
गर्भ का
आशय
और राहत
यह
कि अभी
हैं
ईमानदार
अधिकारी।
.............
Gazab kee rachana!
ReplyDeleteआखिर गिर कर कहाँ पहुँचेगा इंसान का ईमान !
ReplyDeleteहमारी व्यवस्था न जाने किस हाल में छोड़ेगी ?
ReplyDelete...अफ़सोसनाक ।
दुखद ......
ReplyDeleteसटीक प्रस्तुति
ReplyDeleteकमाल की अभिव्यक्ति... कहाँ जा रहे हैं हम.. किडनी से गर्भाशय तक... इतिहास दोहरा रहा है जब एक बार यूं ही पुरुष-नसबंदी का अभियान चलाया था.. और अब ये!!
ReplyDeleteविज्ञान की पृष्ठभूमि और इस महादेश की जमीनी सच्चायइयों से गहरा परिचय,आपके कवि मन की ताकत है ।
ReplyDeleteयह कविता एक संवेदनशील मन की निश्छल अभिव्य्क्तियों से भरी-पूरी है ।
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ReplyDeleteसंवेदनशील अभिव्यक्ति
ReplyDeleteनीजि अस्पतालों की ये घालमेल नई नहीं है वो तो मरीज से सीधे झूठ बोल गलत आपरेशन कर पैसे वसूल लेते है जिसकी शिकार सबसे ज्यादा महिलाए होती है सबसे जयादा बच्चे के जन्म के समय , अब ये नया तरीका हो गया है , फिर ये तो सरकारी मामला है यहाँ तो उनका सीधा हक़ बनता है सरकारी पैसा देख कर मन ज्यादा ललचता है क्योकि उन्हें लगता है की यहाँ तो आसानी से पैसे बन सकते है | कुछ समय पहले दिल्ली एम्स में भी घपला सामने आया था वहा तो सरकारी डाक्टर ने केन्द्रीय कर्मचारियों का बिना जरुरत ओपन हार्ट सर्जरी धड़ा धड कर डाली थी |
ReplyDeleteदुखद
ReplyDelete"कुछ कहना है"
ReplyDelete09 August, 2012
गर्भाशय निक्लाय, पाप पर पुरुष धो रहा
http://dcgpthravikar.blogspot.in/2012/08/blog-post_9.html
(1)
उन्नति पथपर अग्रसर, अब बिहार के लोग |
जनसँख्या कंट्रोल में, सुन पुरुषों का योग |
सुन पुरुषों का योग, करोडो खर्च हो रहा |
गर्भाशय निक्लाय, पाप पर पुरुष धो रहा |
यह नितीश सरकार, जांच तो व्यर्थ कराये |
बनता वर्ल्ड रिकार्ड, डाक्टर बड़े मुटाये ||
(2)
हुई कहानी सब ख़तम, दफ़न जवानी दोस्त |
हड्डी कुत्ते चाटते, सिस्टम खाया गोश्त |
सिस्टम खाया गोश्त, रोस्ट कर कर के नोचा |
बन जाता जब टोस्ट, होस्ट इक अफसर पोचा |
आया न आनंद, वही लंदफंदिया बोला |
करके फ़ाइल बंद, बिना सिग्नेचर डोला ||
उफ़.....क्या क्या होगा इस देश में.....शर्मसार करती घटना ।
ReplyDeleteपतन यहाँ तक पहुँच गया, ना जाने इसके आगे क्या होगा...?
ReplyDeleteसंवेदनशील ह्रदय से उपजी गहन अभिव्यक्ति... आभार
main bahut dukhi ho gayi ye jaan kar.
ReplyDeleteराहत यह कि कभी कभी ठण्डी हवा भी आ जाती है इस उमस और सड़ान्ध के माहौल में!
ReplyDeleteआशय समझ ही नहीं आता है, न जाने क्या चाहते हैं ये?
ReplyDeleteसुरुवात की लाइन बहुत अछ्छी बनी है.वो गोलमाल करते रहेंगे और हम-आप चोंच लड़ाते रहेंगे.
ReplyDeleteडॉक्टर के बिना गुजारा नहीं चलता,मगर ये लोग कुछ आमदनी के लिये लोगों के अंग भी बिना जरूरत निकाल देते हैं ये बहुत बड़ी दुखदायी परिस्थिति है.न जाने और कितने तरीकों से ये लोग ठगते रहते हैं.अब सामान्य आदमी को शरीर और रोगों के बारे में कोई खास जानकारी नहीं होती.ये लोग टीभी,कम्पूटर बनाने वालों की तरह ठगते रहते हैं.क्या किया जाय ! हम सब मजबूर हैं इनसे ईलाज करवाने के लिये !
हृदय को विचलित करती पंक्तियां।
ReplyDeleteयह घृणित करोबार केवल बिहार में ही नहीं, और भी कई राज्यों में पांव पसार चुका है।
बहुत ही सहजता से रचना में रच दिया आपने... :-)
ReplyDeleteहम्म! :(
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