18.10.11

पत्नी और पति


कल मैने एक कविता पोस्ट की थी...पापा। जिसको आप सब ने खूब पसंद किया। उसी मूड में, उसी दिन, मैने दो कविताएँ और लिखी थीं। जिन्हें आज पोस्ट कर रहा हूँ।


पत्नी


प्रेशर कूकर सी
सुबह-शाम आँच पर चढ़ती
हवा का रूख देख
खाना पकाती है
दबाव बढ़ते ही
चीखने-चिल्लाने लगती है
पहली सीटी देते ही
दबाव कम कर देना चाहिए
अधिक हीट होने पर
ऊपर का सेफ्टी वाल्ब उड़ जाने
या फट जाने का खतरा बना रहता है
पिचक जाने पर
मरम्मत के बजाय
दूसरे की तलाश करना
अधिक बुद्धिमानी है।

............................


पति


एक शर्ट
जो गंदा होने पर
धुल जाता है
सिकुड़ जाने पर
प्रेस हो जाता है
बाहर स्मार्ट बना घूमता है
घर में
हैंगर के प्रश्न चिन्ह की तरह चेहरा लिए
सर पर सवार रहता है
प्रश्न चिन्ह को पकड़ कर टांग दो
चुपचाप टंगा रहता है
दुर्लभ नहीं है
पैसा हो
तो फट जाने पर
दूसरा
बाजार में
आसानी से मिल जाता है।

......................................देवेन्द्र पाण्डेय।

38 comments:

  1. पति और पत्नी को नए सन्दर्भों से देखने का यह प्रयास प्रसंशनीय है ....!

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  2. kal hi sandhya mam ke blog par isi se milta julta aalekh padhne ko mila or aaj phir se ek nayi paribhasa , wakyi majedar hai,..
    jai hind jai bharat

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  3. नया अंदाज़ पसंद आया ...
    सावधान रहें ...
    शुभकामनायें !

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  4. :)लेकिन सीटी कैसे धीमी करनी है ..? कोई ट्रेड सीक्रेट हो तो धीमे से इधर भी पास करियेगा :)

    और दूसरी में तो आपने नारीवादियों के मन की कह दी ..

    कोई मोल तोल करने आये तो इधर भी भेजिएगा -यह माल भी कब का बिकाऊ है :)

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  5. बहुत रोचक प्रस्तुति..

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  6. करे आत्मा फिर हमें, अन्दर से बेचैन |
    ढूंढ़ दूसरी लाइए, निकसे अटपट बैन |

    निकसे अटपट बैन, कुकर की सीटी बाजी |
    समझे झटपट सैन, वहीँ से बकता हाँजी |

    गर रबिकर इक बार, कुकर का होय खात्मा |
    परमात्मा - विलीन, करे - बेचैन - आत्मा ||

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  7. पैसे पर बिकते रहे, तभी तो है यह हाल |
    मौज अन्य करते रहे, पंडित गुरू दलाल |

    पंडित गुरू दलाल, पकड़ शादी करवाए |
    कहो गुरू क्या हाल, पूछने फिर ना आए |

    फींचा जाता रोज, गजब पटकाता ऐसे |
    बकरी वाला कथ्य, हगे मिमिया के पैसे ||

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  8. http://www.blogger.com/post-edit.g?blogID=661367040317442003&postID=8149899408205929481

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  9. वाह क्या अन्दाज है.

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  10. घरेलु हिंसा कानून लागु होने के बाद मरम्मत की बात सोचना जरा खतरनाक है और दूसरा खरीदना तो उससे भी अच्छा हो कुकर को फटने न दे और पहली सिटी में ही उसे आंच से उतार कर उसे ठंडा रखे | और पति की हालत तो और भी बुरी कर दी आप ने कुकर तो फिर भी दसको तक चलता है और भारत में तो उससे भी लम्बा पर शर्ट की उम्र तो बहुत कम होती है पैसा कितना भी हो पर बदलेगे कितना :)))

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  11. रविकर जी...

    भौचक कर देती गुरू, तुकबंदी की चाल
    पंखा बन नाचा करें, चौचक तेरा माल।

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  12. गजब का अवलोकन, सटीक अभिव्यक्ति।

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  13. कतई ’यूज़ एंड थ्रो’ फ़ार्मूला:)

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  14. गजब का विश्‍लेषण।
    क्‍या बात है.....

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  15. पत्नी और पति की एक और परिभाषा अच्छी लगी बधाई

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  16. भाई, अगर कुकर फटा तो शर्ट के इतने चीथड़े उड़ेंगे की प्रेस करवाने लायक न बचेगी !

    मिसिर जी की तरफ़ दो-चार 'सौदे' ज़रूर भेज देना !

    मज़ेदार कबिताई !

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  17. ये अदला-बदली की भावना कविताई में आ ही गयी। सही है जी। :)

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  18. यहाँ तो हिसाब किताब बराबर है कुकर और हेंगर दोनों एक साथ टांग दिए।

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  19. एक नए अंदाज में सुन्दर रचना

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  20. बदलने की बडी चाहत है, इतना आसान होता तो सब सुखी ना हो जाते। शादी करने के बाद तो लगता है कि बस यह प्रयोग और नहीं।

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  21. नहीं जी, जो बात पापा कविता में थी वो इनमें नहीं है। बल्कि मेरे हिसाब से ये दोनों बेहद कमजोर हैं।

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  22. बहुत सुन्दर. बधाई स्वीकारें

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  23. बहुत बढि़या।

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  24. दूसरी ढूंढोगे, क्यों?...बताऊँ अभी भाभी जी को?

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  25. आनंद से भर दिया आपने.अच्छी लगी ..

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  26. अच्छी मरम्मत की है पांडे जी.. कुकर की भी और शर्ट की भी!!

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  27. पति -पत्नी की परिभाषा तो अज़ब-गज़ब ही है पाण्डेय जी !
    एक की तलाश करनी पड़ती है ........दूसरा बाज़ार में आसानी से मिल जाता है......क्या कहने !

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  28. :-) :-)

    बढ़िया है देव बाबू अच्छी उपमा है पति पत्नी की |

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  29. दोनों रचनाएँ अपनी अपनी जगह प्रभावशाली हैं ..पर दोनों जगह ही बदलाव की गुंजाईश नहीं है :)

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  30. बहुत ठीक है,पति और पत्नी का वर्णन.प्रेसर कुकर की तरह वो भी फट जातीं तो दूसरी लाने का अवसर मिल जाता.

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  31. ब्लॉग बुलेटिन की ११०० वीं बुलेटिन, एक और एक ग्यारह सौ - ११०० वीं बुलेटिन , मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !

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  32. कुकर और हैंगर - कमाल है आपका भी !

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