31.10.12

आकाश दीप

यह पंचगंगा घाट है। गंगा, यमुना, सरस्वती, धूत पापा और किरणा इन पाँच नदियों का संगम तट। कहते हैं कभी मिलती थीं यहाँ पाँच नदियाँ..सहसा यकीन ही नहीं होता लगता है, कोरी कल्पना है। यहाँ तो अभी एक ही नदी दिखलाई पड़ती हैं..माँ गंगे। लेकिन जिस तेजी से दूसरी मौजूदा नदियाँ नालों में सिमट रही हैं उसे देखते हुए यकीन हो जाता है कि हाँ, कभी रहा होगा यह पाँच नदियों का संगम तट तभी तो लोग कहते हैं पंचगंगाघाट। 

जल रहे हैं आकाश दीप। चल रहा है भजन कीर्तन। उतर रहा हूँ घाट की सीड़ियाँ..



 पास से देखने पर कुछ ऐसे दिखते हैं आकाश दीप। अभी चाँद नहीं निकला है।

यहाँ से दूसरे घाटों का नजारा लिया जाय...



यहाँ बड़ी शांति है।  घाट किनारे लगी पीली मरकरी रोशनी मजा बिगाड़ दे रही है। सही रंग नहीं उभरने दे रही..

 ध्यान से देखिये..चाँद इन आकाश दीपों के पीछे निकल चुका है।

 एक किशोर बड़े लगन से टोकरी में एक-एक दीपक जला कर रख रहा है। ऊपर खींचते वक्त पर्याप्त सावधानी की जरूरत है नहीं तो दिया बुझ सकता है। तेल सब उसी की खोपड़ी में गिर सकता है।














देखते ही देखते चार दीपों वाली टोकरी को पहुँचा दिया आकाश तक। लीजिए बन गया अब यह आकाश दीप।चाँद अब पूरी तरह चमक रहा है।

34 comments:

  1. वाह बहुत प्यारे फोटो....
    अबके ऐसा ही आकाश दीप हम भी जलाएंगे दिवाली पर...
    बहुत अच्छा लगा...बड़ी सात्विक सी फीलिंग आयी आज की पोस्ट देख कर....

    अनु

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  2. गज़ब हैं ये तस्वीरें तो .

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  3. बहुत मनमोहक तस्वीरें ..आभार

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  4. रोशनी के फूल जैसे लग रहे हैं!

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  5. बहुत सुन्दर तस्वीरें. सचमुच ऐसा लग रहा है जैसे रौशनी के फूल खिलें हों...

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  6. बहुत सुंदर तस्‍वीरें ..

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  7. ...फ़िर से बढ़िया नज़ारा !

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  8. सुन्दर दृश्य श्रंखला..

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  9. बहुत बढ़िया!
    करवाचौथ की अग्रिम शुभकामनाएँ!

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  10. अद्भुत नज़ारा है !
    आपके अन्दर का फोटोग्राफर अब ज़वान होने लगा है . :)

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  11. मुग्ध करने वाला दृश्य.. आपके कैमरे ने सुबहे बनारस के साथ-साथ शबे बनारस का भी नज़ारा दिखाया है..! आभार कहूँ तो बहुत छोटा लगेगा!!

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  12. अद्भुत और नयनाभिराम दृश्य |आभार

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  13. दुर्लभ चित्र देख कर बहुत अच्छा लगा। मेरे पोस्ट पर आपका इंतजार रहेगा।

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  14. अब तो भैया पचरंगा अचार ही रह गया है .गंगा के धौरे रहवे वारो को कैंसर समूह के रोग हो रहे हैं .बहुत ही नयनाभिराम दृश्य रचा है आपके कैमरे ने .और ये पीली रोशनियाँ भैया सोडियम लैम्प्वा की हैं मरकरी की

    रोशनी तेज़ दूधिया होती है .बधाई इस खूब सूरती को घाटों की आप रोज़ पीतें हैं .कोई पंद्रह राज्य अमरीका के घूम लिए 16 -17 भारत के बनारस देखा जाना बाकी है .कबीर चौरा और काशी करवट देखनी है भांग की

    कचौड़ी खानी है और जलेबी ,दूध कड़ाही का .सब्जी आलू की .

    उस्ताद बिस्मिल्लाह खान और राजन मिश्र ,साजन मिश्र जी का घर देखना है .संगीत का यह गढ़ ,ठुमरी और कजरी कथ्थक का घराना देखना है .

    देवेन्द्र पांडे जी आकाश दीप से आपने जय शंकर प्रसाद जी की कहना आकाश दीप की याद दिलवादी .कामायनी भी पीछे पीछे चली आई .

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    1. बनारस को देखे बिना जितना बनारसी एहसास आपके भीतर है उसे देखते हुए तो कहा जा सकता है कि बनारस तो आपके हृदय मे हैं। आपके इस प्रेम का वंदन है, अभिनंदन है।

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    2. पंच गंगा घाट के विहंगम दृश्य ऐसा लगता है जैसे रौशनी के पुष्प खिलें हो ..बहुत सुन्दर

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  15. bahoot khoobsoorat chitra...
    kabhi haiga banane ke liye le jaoongi...ijaajat hai?

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  16. सुन्दर तस्वीरें

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  17. बहुत खूबसूरत प्रस्तुति ..

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  18. क्‍या बात है। ये आकाशदीप देखकर मुझे याद आया कि बचपन में हमने ऐसा ही दीपक पतंग की डोरी से बांधकर रात में उड़ाया था।
    बहुत सुंदर फोटो हैं।

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  19. कार्तिक के कुछ भी नियम पुरे नहीं हो पा रहे इस बार ...आपकी पोस्ट पर चित्र देख कर ही पुण्य लाभ होगा !
    संभव हो तो राधा दामोदर विग्रह के दर्शन भी करा दें :)

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  20. क्षमा कीजियेगा
    गंगा दर्शन में खो गई थी
    आपकी यह बेहतरीन रचना बुधवार 07/11/2012 को http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जाएगी. कृपया अवलोकन करे एवं आपके सुझावों को अंकित करें, लिंक में आपका स्वागत है . धन्यवाद!

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  21. पंचगंगा घाट की सुन्दर मनमोहक प्रस्तुति हेतु आभार

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  22. सुंदर भावों से सजी रचना... आनंद की अनुभूति हो गयी... कभी आना.. http://www.kuldeepkikavita.blogspot.com

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  23. खूबसूरत मन को भा जाने वाला नज़ारा

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  24. बहुत सुन्दर फोटो हैं ,अब लगता है फोटो लेने में पोख्त हो गये आप ,बधाई है.

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  25. बढिया।
    बचपन में दिवाली पर हम भी आकाशदीप बनाते थे। पर इनसे बहुत छोटे।

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