सभी तस्वीरें आज शाम की हैं। दूसरी तस्वीर में आकाश दीप जल रहा है। आज से तुलसी के पौधे और गंगा घाट के किनारे दीप दान प्रारंभ हो चुका है। तीसरी तस्वीर में एक पुरानी नाव दिखाई दे रही है जिस पर आजकल चाय वाला अपनी दुकान लगाता है। अंतिम तस्वीर थोड़ी हिली न होती तो मस्त आती। इसके हिलने का अफसोस तो है लेकिन फिर भी आपको दिखाने का मोह नहीं छोड़ पा रहा हूँ। आज शरद पूर्णिमा है। खीर पक रही है। चाँदनी अपनी संपूर्ण मिठास के साथ उसकी प्रतीक्षा में है। हमारी शुभकामना यह कि आपकी खीर बिल्ली से बची रहे।
:) हमारी खीर बिल्ली से बच गयी है, और हमेशा की ही तरह फोटोज बेहद पसंद आई, मैं कभी बनारस नहीं घूमी हूँ, लेकिन वो मेरी list में ऊपर आता है, और अगर इसी तरह आपकी फोटोस के दीदार होते रहे, तो जल्द ही यहाँ का टिकेट कटाना पड़ेगा।
ReplyDeleteबची रहे तब न, खानी तो कल सुबह है। :) बनारस घूमे बिना स्वयम् तृप्ति भी बेचैन रहती है। आपको तो होना ही है। :)
Deleteबहुत खूबसूरत चित्र .... शरद पूर्णिमा और गंगा का किनारा .... बहुत सुंदर
ReplyDeleteदुसरकी वाली धाँसू है !
ReplyDeleteअमृत वर्षा से हुई, श्वेत खीर अभिसिक्त ।
ReplyDeleteछक कर खाई है सुबह, उदर नहीं है रिक्त।
उदर नहीं है रिक्त, टेस्ट मधुमेह कराना ।
भले चित्र अवलोक, चित्त में इन्हें समाना ।
चित्रकार आभार, परिश्रम का फल पाओ ।
स्वस्थ रहे मन-बदन, और भी चित्र दिखाओ ।।
bahut hi khubsurat chitra hain ....devendra jee...
ReplyDeleteअध्यात्म की चाँदनी..
ReplyDeleteवाराणसी(काशी)एक चिरंतन नगरी ,प्रलयकाल में भी विनाश नहीं होता जिसका -
ReplyDeleteफ़ोटो आकर्षक हैं!
तस्वीरों ने स्वाति की बूंदें दे दीं
ReplyDeleteवाह
ReplyDeleteशरद पूर्णिमा और खीर .... वाह
ReplyDeleteकिलासिकल तस्वीरें .
ReplyDeleteकहीं चाँद, तो कहीं विद्युत् शमा -- कहर बरपा रहे हैं.
किलासिकल तस्वीरें .
ReplyDeleteकहीं चाँद, तो कहीं विद्युत् शमा -- कहर बरपा रहे हैं.
वाह-वाह! :)
ReplyDeleteसभी चित्र बहुत सुन्दर।
ReplyDeleteपुरानी नाव को और-और येंगल में दिखाइये.
ReplyDeleteपर यह रहस्य न खुला कि मठाधीश कुत्ता क्यों बना?
ReplyDeleteरहस्य गहरा लगा, रोचक लगा तभी तो यहाँ साझा किया कि आप जैसे गुरूजन इसको सुलझाने में सहायता प्रदान करेंगे। :) वैसे डा0 अरविंद मिश्र जी के उत्तर से इस निष्कर्ष तक पहुँचा हूँ कि जो पद सेवा के लिए बना हो उसके मुखिया को उससे धनार्जन नहीं करना चाहिए। लेकिन मठाधीश कुत्ता क्यों बना, यह तो रहस्य बना ही हुआ है। :)
Deleteबहुत ही खूबसूरत तस्वीरें हैं ।
ReplyDeleteयही तो मैं ढूंढ रिया था -बहुत आभार इस शीतलता को हम सब तक पहुँचाने का
ReplyDeleteahha!!!!
ReplyDeleteअद्भुत ..
ReplyDeleteक्या दृष्टि है
सुन्दर फोटो!
ReplyDeleteअद्भुत...अस्सी घाट पर मैंने भी गंगाजी की आरती देखा है...बगल में ही BHU है|
ReplyDeleteयहाँ से दो चित्र लिया है हाइगा के लिए|