18.10.12

ईश्वर कहाँ है?

आज शाम श्मशान घाट गया था।  नहीं, नहीं, कोई हादसा नहीं। श्मशान घाट वैसे ही घूमने गया था। बेचैन आत्मा हूँ न..! दफ्तर से लौटते वक्त  हरिश्चंद्र घाट की ओर गाड़ी घूम गई। यहाँ पर धूनी रमाये एक अपाहिज तांत्रिक दिखा।  मसान की लकड़ी सुलग रही है। गर्म आँच मिली तो सो गया कुत्ता। मैने तांत्रिक से पूछा.."यह कौन है?" उसने बताया .."सेवक है।" मैने खुद से प्रश्न किया, "क्या यह ईश्वर को ढूँढ रहा है? क्या ईश्वर यहाँ होगा?


बगल में 'लाली घाट' है। शंकराचार्य द्वारा चलाये जा रहे गंगा मुक्ति अभियान के बाद इसे लोग 'शंकराचार्य घाट' के नाम से जानने लगे हैं । वहाँ एक आदमी गंगा निर्मलीकरण अभियान में इस नवरात्रि में, नौ दिन तक लगातार साइकिल चलाने का संकल्प ले साइकिल चला रहा है। यह इसका तप है। सब कुछ साइकिल पर बैठे-बैठे करता है। गंगा आरती भी। संन्यासी भी दिखे जो उसके हाथों पूजा करवा रहे थे।


आरती भी कर रहा है। बाकी समय लगातार साइकिल चलाता रहता है। यह इतना बड़ा तप कर रहा है! ईश्वर यहाँ भी हो सकता है!


 शंकराचार्य घाट के बगल में केदार घाट है। इस घाट की सुंदरता लाज़वाब है। यहाँ गौरी-शंकर का विश्व प्रसिद्ध  मंदिर है।  मैं दर्शन करने नहीं गया। मैं जब भी यहाँ जाता हूँ, इस घाट की सुंदरता, इस पर बनाई गईं खूबसूरत प्रतिमाओं को देखने में ही विभोर हो जाता हूँ। यहाँ तो ईश्वर को होना ही चाहिए।


केदार घाट के सामने भी गंगा आरती की तैयारी चल रही है। ईश्वर यहाँ भी हो सकता है।


या फिर..इस मासूम की मुठ्ठियों में? जो वहीँ मिट्टी से सना, बालू के ढेर से खेलने में मगन था! 


ईश्वर कहाँ है?

26 comments:

  1. यहीं है ,यहीं कहीं है......
    शायद हमारे भीतर ही....
    (फिलोसफी नहीं है....सच है.)
    अनु

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  2. एक बार फिर बहुत कुछ कहती तस्वीरें और आलेख।

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  3. चित्र बहुत रोचक हैं ..... एक बात का संशय है कि नौ दिन तक साइकिल पर तप करने वाला क्या सच ही सब कुछ साइकिल पर ही करता होगा ?

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  4. संगीता जी,
    इतनी छूट तो मिलनी ही चाहिये -ईश्वर के नाम पर !

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  5. हममें तुममें खड्ग खम्ब में, सबमें व्यापत राम !

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  6. ईश्वर बैठा फ़ेसबुक पर अपना स्टेटस अपडेट कर रहा होगा। तस्वीरें देखकर कह रहा होगा -वाओ! :)

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    1. jata hoon 'unko' like kar aa-oon? kya pata un-freind kar den??????


      pranam.

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  7. पहले खुद को समझ लें, ईश्वर को तभी ठीक से ढूढ़ पायेंगे।

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  8. हम जानते हैं , बताएँगे नहीं :)
    अच्छी तस्वीरें!

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  9. अनूप जी ने देखिये सच बता भी दिया :P
    कितने रंग देखने को मिलते हैं आपकी हर पोस्ट में!!

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  10. http://bulletinofblog.blogspot.in/2012/10/blog-post_19.html

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  11. ये जो बैचेन आत्मा यहाँ वहां घुमती है ईश्वर वहां भी हो सकता है, और ये जो यहाँ तस्वीरों का आनंद ले कर टीप रहे हैं ईश्वर यहाँ भी हो सकता है:)
    यानि हममें, तुममें सबमें राम :)

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  12. इतना ढूँढा , पर ये तो कहो -- मिला की नहीं ! :)

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  13. ईश्वर कहाँ है ?

    मोकू कहाँ ढूंढें रे बंदे मैं तो तेरे ............न मैं काबा ,न मैं काशी ....मैं तो हूँ तेरे भेष में ............हम तो आपके सुन्दर विवरण चित्रण और दर्शन में ही

    मस्त हैं .

    यह दृष्टि भी ईशवरीय विज़न है .चित्रों में दर्पण और आपके मन के दर्पण में चित्रण भी रहता है .बहुत खूब दिखाया है ईश्वर की झलक को ....एक

    एहसास कराया है उसके होने का इस पोस्ट ने .

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  14. .
    .
    .
    हाँ, इन सब जगहों पर वह हो सकता था... पर है नहीं... वह नहीं मिलता कहीं... ताकि उसे खोजते रहें सारे... अपने अपने तरीकों से... उसकी खोज का ही तो सारा खेल है... मिल गया तो खेल खतम... :)



    ...

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  15. वो तो आप के भीतर है फिर भी खोज जारी है ?

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  16. Dekho to charachar me eeshwar hai.....warna kaheen bhee nahee hai!Tasveeren boltee hain!

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  17. आपने सिद्ध कर दिया कि ईश्वर सर्वत्र है ।

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  18. हे मूढ़मते तू बाहर खोजता फिर रहा है इश्वर को -अंतर्मन खोज और यह भी बात कि वह कहाँ नहीं है ?
    आचार्य अरविन्द

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  19. चित्र जानदार हैं मुझे लगे कि ईश्वर तो वहीं कैमरे में हैं !

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  20. ईश्वर हम सब के दिलों में है ! हमारे कर्मों में है...
    ~सादर !!!

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  21. मोको कहाँ ढूंढे रे बन्दे .... अति सुन्दर पोस्ट!

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  22. बस एक नूर ही बसता वहाँ , दीन दुनिया फकत आइना !!!!

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  23. बहुत सुन्दर तस्वीरें आपकी अभिव्यक्ति के साथ कण कण में व्याप्त है वो तो हमारी आँख खुलने भर की देर है ।

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  24. ईश्वर आपके ब्लॉग में भी हो सकता है ! .:) .....नहीं तो इतनी सुन्दर सुन्दर पोस्ट्स कैसे आती !

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