1.7.13

बारिश-2

बारिश के सिवा
सोचने को
कुछ नहीं रहा।
अब होश में
बारिश का मज़ा
कुछ नहीं रहा।

होने को हो रही है बहुत
धूमधाम से
कभी सुबह से
तो कभी
देर शाम से

अभी जरा-सी तेज हुई,
बहक-सा गया
अभी रूकी,
कीचड़ के सिवा
कुछ नहीं रहा।

सोचता हूँ
अंड-बंड
हो रहा हूँ
खंड-खंड
बादलों
से बहुत
झंड हो गया।
अभी प्यासा,
अभी
उत्तराखंड
हो गया।

पढ़ रहा
लाशों के सिवा
कुछ नहीं बचा
अब वहाँ
गाँव-घर
कुछ नहीं बचा।

सुनते हैं बहुत
फिक्र थी
सरकार को मगर
इस फिक्र पर
हमको यकीं
कुछ नहीं रहा।

अब होश में
बारिश का मज़ा
कुछ नहीं रहा।
..........

अंड-बंड बनारसी शब्द है। मतलब...उल्टा सीथा, गलत-सलत, अनाप-शनाप।

24 comments:

  1. बारिश मन में डर ले आयी,
    स्मृतियों ने करी लड़ाई।

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  2. होश में तो अब किसी में मजा नहीं रहा -अच्छी प्रस्तुति
    latest post झुमझुम कर तू बरस जा बादल।।(बाल कविता )

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  3. सावन को आने दो !

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  4. मन उत्तराखण्ड होगया ...बहुत ही मार्मिक रचना है ।

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  5. बहुत गहरे उतरे!!

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  6. ला-जवाब !! कहीं गहरे भेदती हुई

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  7. बहुत कुछ कह गए आप-

    बढ़िया प्रस्तुति-

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  8. वाकई अब तो बारिश के नाम से दहशत सी होती है .... गहन अभिव्यक्ति

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  9. बरसे तो ज्यादा ही बरसे वहां ...
    मार्मिक !

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  10. बुरे कर्म तो करे इन्सान ,
    बेचारी बारिश हो बदनाम !

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  11. वैसे कल से यही सोच रहा हूँ कि बारिश कहें या बारिस ! कृपया बताएं .

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    1. वर्षा, बारिश या फिर बरसात जो मन चाहे कहिये मगर बारिस मत कहिये वरना हिंदी का भगवान ही वारिस हो जायेगा। :)

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  12. बारिस से मन में उत्तराखंड की घटना की याद आ जाती है,,,,

    सुंदर सृजन,उम्दा प्रस्तुति,,,

    RECENT POST: जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनायें.+++++

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  13. एकदम सटीक तुलना..बहुत सुन्दर

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  14. .
    .
    .
    बारिश
    हो प्रचंड
    अंड-बंड
    या फिर
    कर दे उत्तराखंड

    फिर भी
    बारिश
    मजा भी देगी
    जीवन
    और
    भोजन भी

    बिन बारिश
    सब सून
    कीचड़, बाढ़
    रेगिस्तान से
    बेहतर हैं
    हर हाल में

    बारिश
    तुम बरसो
    झमाझम
    बेफिकर
    क्योंकि प्यास
    धरती की
    अभी बुझी नहीं
    और आग भी
    पेट की
    बदस्तूर है
    जल रही...



    ...





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  15. वाकई बारिश का मज़ा नहीं रहा...

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  16. अंट-शंट..............पता नहीं कहाँ का शब्द है मगर उसका भी यही मतलब है :-))

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  17. वाकई कुछ जयादा ही हो रहा है.

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  18. कविता बहुत सुन्दर है.मगर बारिश अब बंद हो जाय तो फिर हाय-हाय के सिवा कुछ नहीं रहेगा,अभी तो जुलाई शुरू ही हुई है,अभी अगस्त ,सेप्टेम्बर भी बांकी हैं.

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  19. सुन्दर और सटीक प्रस्तुति.

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