बहुत दिन हुआ। चलिए आज आपको गंगा जी की सैर कराते हैं। आज रविवार का दिन था। दिन भर आराम किया तो सोचा शाम को चलें गंगा मैया का हाल चाल लें। सुना है गंगा मैया तेजी से बढ़ रही हैं। गत वर्ष तो इस समय तक खूब बढ़ चुकी थीं। गंगा बढ़ती हैं तो एक घाट से दूसरे घाट तक पैदल जाना संभव नहीं हो पाता। घाट किनारे की रौनक भी खत्म हो जाती है। यह हाल दो-चार दिन में ही हो जाने वाला है। घाटों के रास्ते बंद होने वाले हैं। आज भी चेत सिंह घाट के बाद सीढ़ी चढ़कर ही दूसरे घाट तक जा पाया। तो चलिए घाटों की सैर की जाय।
(1) यह तुलसी घाट के ऊपर से खींची गई तश्वीर है। शाम के समय घाटों पर दर्शनार्थियों की, गगन में परिंदों की तथा नदी में नावों की हलचल बढ़ जाती है। चलिए नीचे उतर कर देखते हैं।
(2) एक मछुआरे(मछली पकड़ने वाला मल्लाह) का परिवार अपना 'जाल' सुलझाने में व्यस्त है। इन्हें मछली पकड़ने की चिंता है।
(3) लगता है मामला अधिक उलझ गया है। कौन पूछे ? बनारसी प्रायः अख्खड़ी होते हैं। सीधे-सीधे जवाब थोड़े न देंगे। सीधे कह देंगे.."तोहसे का मतलब? जा आपन काम करा ! मछली लेवे के होई तS काल भोरिये में आये।"
(4) यह दूसरे मछुआरे का परिवार है। नाव आती देख लपक कर पास पहुँचा कि देखें कितनी मछली पकड़ी है इसने! लेकिन एक भी नहीं दिखाई दी। लगता है खाली हाथ लौटा है यह परिवार। तभी तीनों बच्चे मायूस दिख रहे हैं।
(5)मछुआरे की चिंता से इतर यहाँ अलग ही मस्ती का आलम है। संडे की शाम क्रिकेट मैच का आयोजन लगता है। चारों ओर दर्शकों की भीड़ देखने लायक है। मैच खत्म होने के बाद जोरदार ढंग से विजयोत्सव मनाया गया और केदार घाट पर विजयी टीम के खिलाड़ियों की पूड़ी कटी।
(6)यह घाट किनारे की दूसरी दुनियाँ है। जाड़ा, गर्मी, बरसात बच्चे ऐसे ही धमाल मचाते रहते हैं। गंगा सीढ़ियाँ चढ़ती जाती हैं ये बच्चे ऊपर और ऊपर की सीढ़ियों से गंगा में छलांग लगाते जाते हैं।
(7)चढ़ते उतरते थक गया तो सोचा चलो बैठ कर नावों की तश्वीरें खींची जांय। नदी में पानी बढ़ चुका है। धार तेज हो चुकी है लेकिन ये मल्लाह एक नाव में कितने लोगों को बिठाये गंगा की सैर करा रहा है! दूर उस बादल पर सूरज की किरणें पड़ रही होंगी तभी वह हल्का सुनहरा दिखाई दे रहा है।
(8)इस नाव में मालदार पार्टी लगती है। तभी यह नाव अधिक सुंदर और यात्री कम हैं।
(9)मैं केदार घाट की आखिरी सीढ़ियों पर बैठा हूँ । केदार घाट की सुंदरता देख ये विदेशी चकित हैं। केदार घाट है ही खूबसूरत। उसकी तश्वीर तो आप यहाँ देख ही चुके हैं।
(10) दिन ढल रहा है। शाम हो रही है। घाट किनारे बत्तियाँ जलनी शुरू हो चुकी हैं। आज की गंगा सैर यहीं समाप्त करते हैं। अब नहीं लगता कि ऐसे घाट किनारे घूम-घूम कर आपको दो माह तक तश्वीरें दिखा पाऊँगा। पानी बढ़ते ही घाट पर आवागमन बंद हो जायेगा। पानी घटने के बाद भी बाढ़ द्वारा लाई गयी मिट्टी की सफाई होने तक घाटों पर पैदल आवागमन बाधित रहता है। हाँ, बाढ़ की तश्वीरें खींची जा सकती हैं।
नोटः सभी तश्वीरें आज शाम की हैं। इसे उड़ाना चाहते हों तो उड़ा लें, कोई आपत्ति नहीं लेकिन बता जरूर दें ताकि मुझे खुश होने का मौका मिल जाय।:)
सुंदर चित्रों के साथ वर्णन अच्छा लगा :):)
ReplyDeleteगंगा-माँ का सान्निध्य पाना भी एक सौभाग्य है -
ReplyDeleteसुन्दर फ़ोटोज़ के लिये आभार !
सभी तस्वीरें आकर्षक हैं पर आसमान को ताकती तीन तस्वीरें तो गज़ब हैं :-)
ReplyDeleteबढ़िया फोटोग्राफ्स के लिए आभार देवेन्द्र भाई !
ReplyDeleteकभी हम भी इन्ही घाटों पे शाम को सैर किया करते थे |
ReplyDeleteअच्छा टाइम पास है .
ReplyDeleteगंगा घाट पर मछुआरे देखकर अज़ीब सा लग रहा है .
आपने एक बार पूछा था, "गंगा घाट पर और क्या-क्या होता है?" इतने से मन विचलित हो गया!:) ये बिचारे तो अपनी रोटी की तलाश में हैं।
Deleteहर हर गंगे|
ReplyDeleteगंगा चित्रकथा आनन्द..
ReplyDeletepahle to kabhi dekha nahi par aaj aapki kripa se ganga ka ghat dikh gaya ...shukriyaa
ReplyDeleteगंगा मैया में जब तक ये पानी रहे
ReplyDeleteदेवेन्द्र भईया तेरी ज़िन्दानी रहे ......
बहुत ही खूबसूरत तस्वीरें ....
नयनों को अभिराम मिला ....
उड़ाने का जी तो चाह रहा है ....:))
आपकी यह दुआ बहुत दिनो बाद मिली...धन्यवाद। जीते जी गंगा को ऐसे ही देख सकूँ यही कामना है।:)
Deleteमैं जानता हूँ आप उड़ना चाह रही थीं। चाहना भी उड़ना है।:)
बहुत खूबसूरत चित्र .... गंगा घाट का नज़ारा दिखाने के लिए आभार
ReplyDeleteजय जय गंगा मैया ... खूबसूरत चित्र ... लाजवाब व्याख्या ...
ReplyDeleteहम तो तस्वीरें देख कर आनन्दित हैं। उड़ा नहीं रहे।
ReplyDeleteन उड़ाने से भी आपको प्रसन्नता होनी चाहिये! :-)
नदी किनारे की सैर खुबसूरत चित्र.....मज़े तो आपके ही हैं जनाब ।
ReplyDeleteआपकी इस सुन्दर प्रविष्टि की चर्चा कल २४/७/१२ मंगल वार को चर्चा मंच पर चर्चाकारा राजेश कुमारी द्वारा की जायेगी आप सादर आमंत्रित हैं
ReplyDeleteगंगा मैया की जै
ReplyDeleteशानदार तस्वीरें। शुक्रिया हमें भी सैर करवाने के लिए।
ReplyDeleteअरे ये घाट तो काफी साफ़ दिख रहे हैं...ये आपकी फोटो ग्राफी का कमाल है या वाकई सफाई है.?
ReplyDeleteसभी घाट एक समान साफ़ नहीं रहते। सभी मौसम एक समान साफ़ नहीं रहते। वर्षा ऋतु में इंद्र देव खुद ही साफ़-सफाई का जिम्मा लिये हैं, फिर तो साफ़ दिखना ही है।:)
ReplyDeleteवाह बहुत सुंदर चित्र हैं एक से कर बढ़ एक
ReplyDeleteबढियां चित्र और दर्शन -जहाँके आपके चित्र हैं वहां मछली मारना प्रतिबंधित है -कछुआ सेंचुरी घोषित होने के बाद से ही ....यह फोटो वन विभाग को प्रमाण के तौर पर उपलब्ध कराया जा सकता है ..
ReplyDeleteओह!
Deleteअब फंसे आप कानूनी दांव पेंच में :)
Deleteसुन्दर नजारा।
ReplyDeleteThanks. Beautiful pics. And narration. Hope the images dont land the poor fishermen in trouble.
ReplyDeleteचित्रों में ही सही , गंगा के दर्शन हुए ...
ReplyDeleteखूबसूरत तस्वीरें !
सुन्दर चित्र
ReplyDeleteजय गंगा मैय्या :-)
सुन्दर चित्र। चकाचक कमेंट्री!
ReplyDeleteआभार। गंगा दर्शन हेतु।
ReplyDelete............
International Bloggers Conference!
Thanks.
ReplyDeletehere is a piece of poetry from allan herold rex
|With flickering light forbade the seance on the seemlessly never ending night,
Pity the snake for another morn would rise
For it will have to go to the pot ,no the pit.
The cocks and cuckoo within cooee , chanted and coerced another morn out !
Following the sun like the grail, the people lounged in to the waters of the ganges.
Wao!
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