कभी देखा है इतना सुंदर ओपन बाथरूम ?
(मैं इनके पास बिल्ली की तरह दबे पांव गया कि इनको पता न चले।
ये अपनी धुन में पाइप से फुहारे निकालने में मस्त थे।)
फुहारे में नहाने का मजा ही कुछ और है।
(तभी इन्होने मुझे देख लिया और झट से पाइप फेंककर मेरी ओर देखने लगे।)
देखो, ये कौन आ गया! कैमरा लेकर हमारी फोटू खींचने ?
रूको !
बाद में नहाते हैं।
मन के नंगे, तन के नंगे
ये तो हैं पूरे नंगे!
पाइप से आती है जमुना
मेंड़ों से आती गंगे।
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अभी (28-7-2012, समय 19.10) नीरज गोस्वामी जी का यह शेर पढ़ा....
अभी (28-7-2012, समय 19.10) नीरज गोस्वामी जी का यह शेर पढ़ा....
कभी बच्चों को मिल कर खिलखिलाते नाचते देखा
लगा तब जिंदगी ये हमने क्या से क्या बना ली है!
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समयः ये तश्वीरें आज सुबह की हैं।
स्थानः काशी हिंदू विश्वविद्यालय का कृषि विभाग।
भविष्य के ब्लागरों का अतीत :)
ReplyDeleteशहर में यह दृश्य कहाँ...
ReplyDeleteतस्वीरों को देखकर मन खुश हो गया... :)
ReplyDeleteसुंदर पोस्ट भाई देवेन्द्र जी |आभार
ReplyDeleteऐसे चित्रों ने बचपन की याद दिला दी :-)
ReplyDelete...हम भी कभी नंदू होते थे :-)
wyast bachpan mast bachpan....thanks....
ReplyDeleteथोडा बड़ा होने दो , फिर आपको ये बताएँगे--- इनके नंगे फोटो खींचने का हिसाब ! :)
ReplyDeleteकभी फोटू खींचने के लिए खुद ही उकसाते हैं। खींच कर ले आये, दिखाये तो डरवाते हैं। यह अच्छी बात नहीं।:)
Deleteफोटो खींचने का लालच तो कभी कभी बहुत होता है . पर फिर कुछ सोच कर मन मारना पड़ता है . :)
Deleteदेवेन्द्र जी
ReplyDeleteइसे अपनी आलोचना ना समझियेगा और ना ही कोई विवाद | बच्चो की पूरी नग्न फोटो लगा दी, पर कभी सोचा है की ये बच्चो को या उनके जानने वालो को अच्छा लगेगा और जब बच्चे बड़े हो जायेंगे तो उनकी ऐसी फोटो नेट पर होना उन्हें कभी पसंद नहीं आयेगी , मुझे लगता है ये ठीक नहीं है |
खयाल अपने-अपने, विचार अपना-अपना। हो सकता है आप सही कह रही हों। यह भी हो सकता है कि वे बड़े होने पर इन चित्रों को देखकर खुश हों और मुझे धन्यवाद दें।
Deleteकाश! कोई मुझे मेरे बचपन की ऐसी तश्वीरें दिखा देता।
मैने आपके नज़रिये से न देखा न सोचा। ध्यान दिलाने के लिए धन्यवाद।
...और यह भी हो सकता है कि यह पूरा मामला 'संयुक्त राष्ट्र' चला जाय !
Deleteअंशुमाला जी की बात में दम है . व्यक्तिगत मामले को सार्वज़निक बनाने से पहले कई बार सोचना चाहिए .
Deleteकृपया अन्यथा न लें . हम सब हमेशा कुछ न कुछ सीखते ही रहते हैं .
तीसरी फोटो को हटाने से पोस्ट विवादरहित हो जाएगी .
Deleteइसे अच्छी सीख मानकर भविष्य के लिए सुरक्षित करता हूँ। अब जो लगाना था सो लगा दिया। तश्वीर के नीचे लिखी गई चार पंक्तियाँ बताती हैं कि मैंने इन बच्चों को किस भाव से देखा है। तन और मन से जो निर्मल हो, जिसके पास स्वयम् गंगा-जमुना चलकर आती हों वे किसी ईश्वर से किस मामले में कम हैं? अब ईश्वर जो दंड देंगे वो सर माथे पर।:)
Deletehappiness :)
ReplyDeleteहाँ, इन चित्रों में खुशी छलक कर बाहर आ गई है। यह माना जाता है कि खुशी महसूस करने की बात है, देखने की नहीं। यहाँ दिखाई दे रही है।:)
DeleteSo true
DeleteEyes see only what ones mind shows.
ReplyDeleteYou and I see innocence in its completeness.That is OK. Do not be bothered by the nudity comments. Nudity or privacy has no relevance here.
You are a fine photographer. Thanks for these images.
Thanks for this comment.
Deleteबचपन याद आया मगर बोर वेल त्रासदियाँ याद आ गयीं -बच्चों को कोई देखने वाला नहीं है क्या -
ReplyDeleteआप को तो फोटो की पडी है -:-) अब आप पूरे फोटो जर्नलिस्ट बन्ने की राह में हैं ...खुदा खैर करे !
सुबह घूमने की आदत तो है ही। जब मन हुआ कैमरा उठा लेता हूँ।:)
Delete:)इन्हें देखकर लगता है कि जब ये पाइप पकड़कर फुहारें छुड़ाने में मस्त होंगे, तो इनसे ज्यादा खुश दुनिया में कोई नहीं होगा. जीवंत दृश्यों को कैमरे में कैद करना कोई आपसे सीखे.
ReplyDeleteधन्यवाद।
Deletebaache sada isi pal me jeete hain....sundar drashyon ko kaimre me kaid kiya hai aapne.
ReplyDeleteवाह आनंद आ गया ... आनंददायक प्रस्तुति ... आभार
ReplyDeleteआत्मा भी बेचैन है ,हर-हर गंगे
ReplyDeleteयही तो है निर्दोष, निर्लिप्त और निष्कपट बचपन...
ReplyDeleteMUJHE TO YE TASVEEREIN AUR BACHHE ITANE PYARE LAGE MAN KAR RAHA HAI KI RUDRA KO BHI LE KAR VAHIN PAHUNCH JAOO AUR KRAAOO SABKO "HAR HAR GANGE!!!!!"
ReplyDeleteमस्त मलंगे, हर हर गंगे।
ReplyDeleteसुन्दर चित्र
ReplyDeleteBadee hee achhee lageen tasveeren!
ReplyDeleteबच्चे मन के सच्चे। तस्वीर लगाते समय सावधानी बरतने की जरूरत तो है ही।
ReplyDeleteखूबसूरत फ़ोटो!
ReplyDeleteकाशी विश्वविद्यालय की खोजबीन सुंदर चित्र के माध्यम से.
ReplyDeleteबच्चों के ये खूबसूरत फोटो हैं,मगर इन्हें कुछ और पास से लेना चाहिये था.तन के नंगे तो समझ में आया,मगर मन के नंगे ये कैसे हुये ?
ReplyDeleteसच, तस्वीर और नीरज गोस्वामी जी का शेर-
ReplyDeleteक्या कहें ये जिन्दगी भी क्या हो गई है!
सौन्दर्य और निश्छल बचपन का मेल! मेलकर्ता, बेचैन आत्मा, ब्लॉगर!
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