(१) किसी शहर में गायों का यूं पंक्तिबद्ध होकर , कदम ताल मिलाकर चलना हम इंसानों के ट्रेफिक सेन्स के लिए चुनौती है अब देखिये ना एक गधा इस अनुशासन प्रदर्शन के बीच घुस लिया :)
( पीछे की ओर उसके पास संभवतः साइकिल है )
एक और ख्याल आता है कि जैसे शिक्षकगण अपनी मांगों के लिए सड़क पर उतर आये हों :)
(२) दूसरे चित्र का इंसान आखिर को आ ही गया ना अपनी औकात पे :)
दिख तो गाय
ReplyDeleteजैसी ही रही है
अब आप भी तो
गाय ही कह रहे हैं ना !!
GAU VANSH
ReplyDeleteपानी बरसने में गोधूलि नहीं दिख रही है.
ReplyDeleteसुंदर चित्र .........
ReplyDeletehariyali aur gaay .donon sundar....
ReplyDelete(१)
ReplyDeleteकिसी शहर में गायों का यूं पंक्तिबद्ध होकर , कदम ताल मिलाकर चलना हम इंसानों के ट्रेफिक सेन्स के लिए चुनौती है अब देखिये ना एक गधा इस अनुशासन प्रदर्शन के बीच घुस लिया :)
( पीछे की ओर उसके पास संभवतः साइकिल है )
एक और ख्याल आता है कि जैसे शिक्षकगण अपनी मांगों के लिए सड़क पर उतर आये हों :)
(२)
दूसरे चित्र का इंसान आखिर को आ ही गया ना अपनी औकात पे :)
कलियुग में गायों के भी रंग बदल गए हैं .
ReplyDeleteगऊ माता
ReplyDeleteबेमिसाल चित्र ...!
ReplyDeletenice...
ReplyDeleteये बीचयू कैंपस की तस्वीरें है?
ReplyDeleteजी, यह बी एच यू कैंपस की तश्वीरे हैं। यहाँ, विश्व विद्यालय की अपनी गो शाला है।विद्य़ार्थियों को शुद्ध दूध की सप्लाई यहीं से होती है।
Deleteशुद्ध!! डरायेंगे अभिषेक जी को?
Deleteअगली बार बैरीकूल बनारस पहुँच जाएगा, फिर न कहियेगा चेताया नहीं था :)
बचपन की यादें ताज़ा हो गयी, मासी के यहाँ इतनी सारी गायों को देखना बड़ा ही मनोहारी द्रश्य होता था...
ReplyDeleteआती हुई गायें और जाती हुई गायें...दोनों अंदाज़ जुदा हैं !
ReplyDeleteनीचे वाले चित्र में हांकने वाले का जल-बिम्ब कमाल का है !
हमने देखा है डेरी फारम का. हि. वि. वि. वाला . अभिये त एक डेढ़ साल पहिले नया वाला क उदघाटन भया रहा.
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