यह काशी हिंदू विश्वविद्यालय परिसर में 'महिला महाविद्यालय' के पास स्थित 'मधुबन' है। जिसे हम विद्यार्थी जीवन में 'पिया मिलन सेंटर' के नाम से जानते थे। कुछ लोग इसे शराफत से PMC भी कहते थे।:) यहाँ पकृति और कला का सुंदर मिश्रण देखने को मिलता है। यहाँ मूर्तिकला के विद्यार्थियों द्वारा बनाई गयी सुंदर मुर्तियाँ तो हैं ही, एक कॉफी हाउस भी है जहाँ प्रायः संगीत के छात्रों का गीटार पर अभ्यास देखा/सुना जा सकता है। आइये दूर की उस मूर्ति को पास से देखें...
नारी, प्रकृति और यह सुंदर कलाकृति
एक यह भी।
पीपल के पत्ते दिखे , लत्ते बिना शरीर ।
ReplyDeleteसुन्दरता मनभावनी, पी एम् सी के तीर ।
पी एम् सी के तीर, पीर लेकर हैं लौटे ।
कितने रांझे-हीर, यहीं पर छुपे बिलौटे ।
सौन्दर्य उपासक शिष्य, खाय के सैंडिल चप्पल ।
धूनी रहे रामाय, बुद्धि का दाता पीपल ।।
हा हा हा...बहुत खूब.. कविवर, रविवकर जी।
Deleteअदक्ष हाथों की अनगढ़ मूर्तियाँ -लान तो अच्छा है ....
ReplyDeleteहाथ कैमरा आपके ,करता रहे धमाल,
ReplyDeleteमूरत,सूरत ताकता ,करता नए सवाल !
करता नए सवाल, ज़वानी कहाँ गई जी?
Deleteसाथी वही कमाल, जनानी कहाँ गई जी?:)
मूर्तियों की शिल्प में कवि की शिल्प मिलकर नशा सा कर रही हैं .
ReplyDeleteबढ़िया .
हाय...हमने PMC को प्रत्यक्ष क्य़ूं नही देखा? कोई बात नही, आपकी नजर से ही सही.:)
ReplyDeleteरामराम.
अच्छा फ़ोटो खैंचा !
ReplyDeleteKhoobsoorat tasveeren!
ReplyDeleteये तो बड़ी सुन्दर जगह मालूम होती है..
ReplyDelete'पिया मिलन सेंटर'.. बड़ा क्रिएटिव नाम है.. ;)
पुरानी यादें ताज़ा हो गयी |
ReplyDeleteये सब तो शानदार है ही, PMC के संस्मरण भी सुनाइये कभी|
ReplyDeleteपी एम् सी का दृश्य उम्दा है संजय जी की बात से सहमत हूँ कि कोई संस्मरण भी देते तो चार चाँद लग जाते.
ReplyDeleteजय हो संजय जी के प्रस्ताव का मेज़ थपथपा के अनुमोदन किया जाता है जी । हमें भी PMCके किस्से सुनने हैं ..किस्से होंगे नहीं जे बात हम नहीं मान सकते । फ़ौरन शुरू हो जाइए
ReplyDeletePMC के किस्से! हम्म..ब्लॉगिंग करना और सुखी रहना आसान नहीं है।:)
Delete:D
DeleteBahut suna hai hamne PMC Ke baare mein. ab likh hi dijiye :)
Deleteबेचैन आत्मा लगता है सचमुच बेचैन है.
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